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पूर्व कुलपति कुठियाला की अग्रिम जमानत खारिज - पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आर्थिक अनियमितता
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला की अग्रिम जमानत खारिज कर दी है। जस्टिस राजीव दुबे की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व कुलपति पर आरोप गंभीर है, इसलिए अग्रिम जमानत का लाभ देना उचित नहीं है।
24 असिस्टेंट प्रोफेसर्स और वित्त अधिकारियों की अवैध तरीके से नियुक्तियां की
ईओडब्ल्यू के अनुसार पंचकुला हरियाणा निवासी बृजकिशोर कुठियाला वर्ष 2010 से 2018 तक माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर पदस्थ थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 24 असिस्टेंट प्रोफेसर्स और वित्त अधिकारियों की अवैध तरीके से नियुक्तियां की। उनके कार्यकाल के दौरान नियम विरूद्द्ध तरीके से आई-फोन, वाईन केबिनेट और अन्य सामग्री खरीदी गई। विश्वविद्यालय के धन से शराब के बिलों का भुगतान कराया गया। नियमों के खिलाफ टूर की राशि का समायोजन कराया गया। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने पूर्व कुलपित सहित 20 लोगों के खिलाफ धारा 409, 420, 120 बी, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 और मध्यप्रदेश लोक सेवा अधिनियम की धारा 6 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। इस मामले में भोपाल के विशेष न्यायालय पूर्व कुलपति की अग्रिम जमानत खारिज कर चुकी है। हाईकोर्ट में दायर अग्रिम जमानत आवेदन में कहा गया कि पूर्व कुलपति के खिलाफ ऐसे कोई भी साक्षय नहीं है, जिससे उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज किया जा सके। ईओडब्ल्यू की ओर से अधिवक्ता हरजस सिंह छावड़ा ने तर्क दिया कि पूर्व कुलपति के खिलाफ जांच चल रही है। यदि उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ दिया गया तो जांच प्रभावित हो सकती है। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने पूर्व कुलपति की अग्रिम जमानत खारिज कर दी है।
गाडरवारा रेलवे स्टेशन पर असुरक्षित तरीके से क्यों हो रही कोल डम्पिंग
हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार, रेलवे बोर्ड, पश्चिम मध्य रेलवे, एनटीपीसी और गाडरवारा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट को नोटिस जारी कर पूछा है कि गाडरवारा रेलवे स्टेशन पर असुरक्षित तरीके से कोल डम्पिंग क्यों की जा रही है। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने अनावेदकों को 6 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।
गाडरवारा निवासी पप्पू कौरव की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि वर्ष 2014 में गाडरवारा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की स्स्थापना हुई है। थर्मल पावर प्रोजेक्ट से बिजली बनाने के लिए कोयला रेलवे के जरिए मंगाया जाता है। रेलवे रैक से आने वाले कोयले को गाडरवारा रेलवे स्टेशन में डम्प कर दिया जाता है। कोल डम्पिंग के दौरान बड़े पैमाने पर डस्ट उड़ती है। कोल डस्ट से रेलवे स्टेशन के आसपास रहने वाले को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों के घरों में डस्ट जम रही है। इसकी वजह से लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। अधिवक्ता आनंद दत्त मिश्रा ने तर्क दिया कि कोल डस्ट की वजह से लोगों को अस्थमा, दमा और अन्य घातक बीमारियां हो रही है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए है।
Created On :   23 July 2019 7:41 AM GMT