- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- हाईकोर्ट : इस साल मेडिकल में न लागू...
हाईकोर्ट : इस साल मेडिकल में न लागू हो मराठा आरक्षण, दायर याचिका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेडिकल एडमिशन में इस साल मराठा आरक्षण न लागू किए जाने की मांग को लेकर एक छात्रा ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए लाए गए कानून से पहले ही इस साल मेडिकल पाठ्यक्रम की प्रवेश प्रक्रिया की शुरुआत हो गई थी। इसलिए इस साल मेडिकल एडमिशन में सामाजिक व आर्थिक रुप से पिछड़ावर्ग (एसईबीसी) के लिए लागू किए गए आरक्षण को लागू न किया जाए। छात्रा ने कहा है कि यदि इस साल आरक्षण को लागू किया जाता है तो उसके एडमिशन के लिए संकट पैदा हो सकता है। याचिका में छात्रा ने कहा है कि इससे पहले हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने मेडिकल के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में मराठा आरक्षण को लागू करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में भी राज्य सरकार को इस मामले में राहत नहीं मिली थी। ऐसे में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में एसईबीसी श्रेणी के छात्रों को दिए गए आरक्षण को लागू न किया जाए। क्योंकि यह किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ ने गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई करने की बात कही है। गौरतलब है कि पिछले दिनों हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मराठा आरक्षण के संबंध में लिए गए निर्णय को वैध ठहराया था लेकिन राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के आधार पर आरक्षण के प्रतिशत को घटा दिया था। कोर्ट ने आयोग की सिफारिश के आधार पर शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण 12 प्रतिशत और नौकरी में 13 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखा है।
हवाई यात्रियों की सुरक्षा के लिए क्या कर रहा मंत्रालय
बांबे हाईकोर्ट ने केंद्रीय नागरी उड्डयन मंत्रालय से जानना चाहा है कि उसने हवाई यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कौन से कदम उठाए? क्योंकि यात्रियों की सुरक्षा बेहद गंभीर विषय है। इस दौरान हाईकोर्ट ने पिछले दिनों मुंबई एयरपोर्ट में लैंडिंग के समय स्पाइस जेट के विमान के फिसलने के चलते 72 घंटे के लिए रनवे बंद होने की घटना का भी संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने कहा कि देश की आर्थिक राजधानी के रनवे का इस तरह से बंद होना देश के लिए अच्छी बात नहीं है। हाईकोर्ट में पेशे से वकील यशवंत शिनाय की ओर से एयरपोर्ट की सुरक्षा को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान अधिवक्ता यशवंत शिनाय ने न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ के सामने दावा किया एयरपोर्ट परिसर के पास इमारतों की उंचाई एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया की ओर से तय की गई उंचाई से अधिक है। इसलिए विमानों के लैंडिंग व टेक आफ में परेशानी होती है और रनवे पर हादसे होते हैं। उन्होंने दावा किया कि अधिकांश हादसे विमान के टेक आफ व लैंडिंग के वक्त हुए हैं। ऐसे में जरुरी है कि एयरपोर्ट परिसर के निकट बनी इमारतों की उंचाई के सर्वेक्षण का निर्देश दिया जाए। जो इमारते उंचाई से जुड़े नियमों का उल्लंघन करते पायी जाए उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। क्योंकि यदि एयरपोर्ट परिसर में कोई हादसा होता है तो उससे परिसर में बनी इमारतों में रह रहे लोग की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हवाई यात्रियों की सुरक्षा हमारे लिए चिंता का विषय है। इसलिए हमे अगली सुनवाई के दौरान बताया जाए कि हवाई यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नागरिय उड्डयन महानिदेशालय व एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया ने कौन से कदम उठाए हैं। विमान के फिसलने के चलते देश की आर्थिक राजधानी का मुख्य रनवे बंद होना यह देश के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
सिनेमा कामगारों के लिए सरकार ने बनाई त्रिपक्षीय कमेटी
फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कार्य करने वालों की समस्या के अध्ययन के लिए राज्य सरकार ने त्रिपक्षीय कमेटी गठित की है। यह कमेटी सरकार को 6 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौपेगी। रिपोर्ट में सिने वर्करों के उत्थान व कल्याण के लिए दी गई सिफारिशो के आधार पर सरकार नियम तैयार करेगी। बुधवार को सहायक सरकारी वकील निशा मेहरा ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। सिनेमा कामगारों में लाइटमैन, स्टंट मैन, कैमरा मैन व स्पाट बॉय सहित अन्य कलाकारों का समावेश है। मनोरंजन क्षेत्र में कार्यरत इन श्रमिकों की सुरक्षा के लिए अलग से कोई कानून नहीं है। इन कर्मचारियों के लिए सरकार को अलग से कानून बनाने का निर्देश देने की मांग को लेकर एसोसिएशन आफ एडिंग जस्टिस ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सहायक सरकारी वकील ने कहा कि सिनेवर्कर से जुड़े मुद्दों को देखने के लिए सरकार ने एक त्रिपक्षीय कमेटी गठित की है। इस कमेटी में श्रम आयुक्त, सिनेमा जगत से जुड़े संगठन व सिनेवर्कर के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। कमेटी सिनेवर्कर की समस्याओं पर चर्चा कर एक रिपोर्ट तैयार करेगी। सरकार को यह रिपोर्ट 6 महीने में सौपी जाएगी। इन दलीलों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता के वकील जमशेद मिस्त्री ने कहा कि उनकी याचिका का उद्देश्य पूरा हो गया है। इसलिए अब वे याचिका पर सुनवाई नहीं चाहते हैं। इस तरह मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया।
Created On :   10 July 2019 8:27 PM IST