श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन की कथा सुन श्रोताओं के छलके आंसू

Hearing the story of Shri Krishna-Sudama meeting, tears spilled from the audience
श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन की कथा सुन श्रोताओं के छलके आंसू
शाहनगर श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन की कथा सुन श्रोताओं के छलके आंसू

डिजिटल डेस्क, शाहनगर । नगर के बस स्टैंड स्थित बङगैंया परिवार में चल रही श्रीमद भागवत कथा में शुक्रवार को श्रीकृष्ण-सुदामा के मिलन की कथा सुनकर श्रोताओं के आंखों में आंसू भर आए। इस दौरान श्रीकृष्ण-राधा व सुदामा की सजाई गई झांकी भी आकर्षण का केंद्र रही। इंदौर के खजराना गणेश मंदिर से आए कथा व्यास पंडित घनश्याम दास ने कहा कि श्रृंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिए तक्षक नामक सांप भेष बदलकर राजा परीक्षित के पास पहुंचकर उन्हें डस लेता है। जहर के प्रभाव से राजा का शरीर जल जाता है और उनकी मृत्यु हो जाती है लेकिन श्रीमद्भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है। पिता की मृत्यु को देखकर राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय क्रोधित होकर सर्प नष्ट के लिए आहुतियां यज्ञ में डलवाना शुरू कर देते हैं। इसके प्रभाव से संसार के सभी सर्प यज्ञ कुंडों में भस्म होना शुरू हो जाते हैं। तब देवता समेत सभी ऋषि-मुनि राजा जनमेजय को समझाते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं। कथा व्यास ने कहा कि कथा के श्रवण करने से जन्म-जन्म के पापों का नाश होता है और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। कथा व्यास ने कहा कि संसार में मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करना चाहिए तभी उसका कल्याण संभव है। माता-पिता के संस्कार ही संतान में जाते हैं। संस्कार ही मनुष्य को महानता की ओर ले जाता है। श्रेष्ठ कर्म से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। अहंकार मनुष्य में ईष्र्या पैदा कर अंधकार की ओर ले जाता है। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र की लीला का भावपूर्ण वर्णन किया गया। श्अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो कि दर पे सुदामा गरीब आ गया हैश् के भजन पर श्रोता भाव विभोर हो उठे। 

Created On :   23 April 2022 5:16 PM IST

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