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विदर्भ के स्वास्थ्य क्षेत्र ने किया डॉ. माधुरी कानिटकर का सत्कार
डिजिटल डेस्क, नागपुर. पाठ्यक्रमों की कक्षाओं से आदर्श शिक्षा मिलती है, लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी और व्यावहारिक ज्ञान कॉलेज कट्टे पर और कैंटिन में मिलता है। ज्ञान को रचनात्मकता से जाेड़ना एक कला है। यह बात महाराष्ट्र राज्य आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ नाशिक की कुलगुरु डॉ. माधुरी कानिटकर ने कही। महाराष्ट्र आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ के विभागीय आदिवासी संशोधन केंद्र, विदर्भ के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल, शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल, नर्सिंग कॉलेज, फिजियोथेरेपी कॉलेज आदि के संयुक्त तत्वावधान में कुलगुरु डॉ. कानिटकर का सत्कार किया गया। इस अवसर पर वे बोल रही थी। कार्यक्रम में नीरी के संचालक डॉ. अतुल वैद्य, आदिवासी केंद्र के समन्वयक डॉ. संजीव चौधरी, मेडिकल के अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये, दंत महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. अभय दातारकर आदि प्रमुखता से उपस्थित थे। प्रास्ताविक डॉ. चौधरी ने किया। नर्सिंग कॉलेज की तरफ से आशा खोब्रागडे, फिजियोथेरेपी विभाग की तरफ से डॉ. कोमल वीरानी ने संयुक्त रूप से डॉ. कानिटकर का सत्कार किया।
मार्ड के साथ सकारात्मक चर्चा
निवासी डॉक्टरों के संगठन मॉर्ड की ने भी कुलगुरु कानिटकर का सत्कार किया। इस अवसर मार्ड ने विविध विषयों पर चर्चा की। कुलगुरु ने कहा कि परीक्षा के लिए 1 अप्रैल से अभ्यास के लिए छुटि्टयां देने पर विचार किया जाएगा। कोविड के कारण राज्य के 120 निवासी डॉक्टरों को बायोमेडिकल संशोधन पाठ्यक्रम का प्रमाणपत्र नहीं मिल सका। इसलिए उन्हें परीक्षा देने का मौका देने के लिए विद्यापीठ सकारात्मक पहल करेगा। निवासी डॉक्टरों को टीबी व प्रसूति के लिए नियमानुसार छुट्टी देने का निर्णय लेने का आश्वासन दिया गया। इस अवसर पर सेंट्रल मार्ड के महासचिव डॉ. सजल बंसल व अन्य निवासी डॉक्टर उपस्थित थे।
Created On :   30 March 2022 2:55 AM GMT