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जो सुख साथ रहने में वह अकेले रहने में नहीं
डिजिटल डेस्क, भंडारा। आज एकल परिवारों का चलन बढ़ गया है। किंतु एकसाथ रहने में जो सुख है वह अकेले रहने में नहीं है। संयुक्त परिवार में हमारी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यह कहना है दवडीपार निवासी रवींद्र लांजेवार (58) का।
Q आपकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण वह कौन-सा पल था, जिसमें आपने सफलता पाई और वह किस तरह आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन करती है?
- हमारी कई पीढ़ियों ने दवडीपार में ही जीवनयापन किया। हम भाईयों का परिवार भी खेती करनेवाला था। हमारे परिवार की सोच नए जमाने के साथ चलनेवाली थी इसलिए हमने बच्चों को शिक्षित किया। इस कारण मेरे एक भाई ने शिक्षक के रूप नौकरी पायी। उनके बेटे आज शहर के नामी बालरोग विशेषज्ञ है। शिक्षा से जीवन में कामयाबी पायी जा सकती है।
Q आपने अपनी जो विरासत संजोई है और जिंदगी में जो अनुभव प्राप्त किए है वे किस तरह भविष्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते है?
- मेरे पिता किसान थे। इसके बावजूद उन्होंने हम भाईयों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दिए। उनका सपना था कि युवा भी खेती में रूचि लें। अाज हमारे बच्चों ने उच्च शिक्षा हासिल कर अच्छा मुकाम पाया। यह देख खुशी होती है।
Q अपने शहर, समाज और देश के लिए अब क्या करना चाहते है और यह भी बताईए कि आज की पीढ़ी को क्या करने की जरूरत है?
- मेरा संपूर्ण जीवन गांव में बीता। ग्रामीण समस्याओं को मैंने करीब से देखा है। पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते पहले समाजसेवा नहीं कर पाया। किंतु अब जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आना चाहता हूं।
Created On :   3 Jan 2022 6:53 PM IST