समय पर जांच कराई होती तो बच सकती थी जान, आप न करें ये गलती

Had it been investigated on time, you could have been saved, do not make this mistake
समय पर जांच कराई होती तो बच सकती थी जान, आप न करें ये गलती
समय पर जांच कराई होती तो बच सकती थी जान, आप न करें ये गलती



- सामान्य बीमारी समझकर कोरोना जांच से बचना पड़ रहा जानलेवा, पढि़ए ऐसे कुछ उदाहरण, जो बन सकते हैं सबक
डिजिटल डेस्क बालाघाट। जिले में कोरोना से जान गंवाने वालों में उन लोगों की संख्या ज्यादा हैं, जो सर्दी, जुखाम, बुखार, कमजोरी को सामान्य या मौसमी बीमारी समझकर कोविड की जांच कराने में देरी की थी। स्वास्थ्य विभाग सहित जिला प्रशासन भी बार-बार लोगों से यही अपील कर रहा है कि झोलाछाप डॉक्टरों के बहकावे में आकर टायफाइड या मलेरिया का इलाज कराने में वक्त बर्बाद न करें। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग हफ्तेभर से ज्यादा समय तक घर में रहकर इलाज करा रहे हैं। हालत बिगडऩे पर जब मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं तो उन्हें मिल रही सिर्फ मौत। ऐसे कई केस हैं, जो दूसरों के लिए सबक साबित हो सकते हैं।
आखिरी वक्त में पहुंच रहे अस्पताल-
जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि ज्यादातर मौतें ग्रामीण अंचलों के लोगों की हो रही है, जो बुखार आने पर पहले सामान्य वायरल और फिर झोलाछाप डॉक्टरों से टायफाइड का इलाज करा रहे हैं। ये बड़ी समस्या है। रोजाना ऐसे कई मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं जो 10 से 15 दिनों तक घर पर थे, लेकिन कोरोना की जांच नहीं कराई। यहां आने के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल बेहद कम रहता है। इंफेक्शन फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचा चुका होता है। ऐसे में डॉक्टरों के सामने इन्हें बचाने की बड़ी चुनौती रहती है।
केस-1
कटंगी निवासी 42 वर्षीय विजय सिंह को बीते 10 दिनों से बुखार, कमजोरी महसूस हो रही थी। लेकिन उन्होंने कोरोना की जांच नहीं कराई। हालत बिगडऩे पर उन्हें 14 अप्रैल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन अगले दिन यानी 15 अप्रैल को उन्होंने दम तोड़ दिया।
केस- 2
लालबर्रा के 42 वर्षीय सचिन दुबे भी 10 दिनों से बुखार, टायफाइड, दस्त से परेशान थे। उन्होंने घर पर ही दवाई लीं लेकिन हालत बिगडऩे पर 19 अप्रैल को भर्ती हुए। उसी दिन उनकी मृत्यु हो गई।
केस- 3
ग्राम हट्टा, किरनापुर के 42 साल के मोहन करीब हफ्तेभर से ज्यादा समय से खांसी, बुखार, खाने में स्वाद महसूस नहीं कर रहे थे। जानकारी के अनुसार, उन्होंने भी गांव के डॉक्टर से इलाज कराया। 18 अप्रैल को भर्ती हुए और 19 अप्रैल को उन्होंने दम तोड़ दिया।
केस- 4
किरनापुर के ग्राम कांद्रीकला के 38 साल के छबीलाल 19 अप्रैल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। दो दिन बाद 21 अप्रैल को उन्होंने इलाज के दौरान जान गंवा दी। वह एक हफ्ते से बुखार, टायफाइड, कमजोरी महसूस कर रहे थे।
फीवर क्लिनिक में कराएं जांच, जल्द होगा सुधार-
डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि जिले के सभी दस ब्लॉक में फीवर क्लिनिक बनाई गई है। जहां रोगी बुखार, सर्दी, कमजोरी या स्वाद महसूस न होने पर आरटीपीसीआर या रेपिड एंटीजन टेस्ट करा सकते हैं। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर स्थिति सामान्य होने की स्थिति में रोगी घर पर रहकर क्वारंटीन रहें और नियमित दवा लें तो सेहत में जल्द सुधार होगा।

Created On :   22 April 2021 9:49 PM IST

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