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विसर्जन से जलाशयों को दूषित होने से बचाने जारी किए गए दिशा-निर्देश ,होगा का जल परीक्षण
डिजिटल डेस्क, शहडोल। प्रतिमाओं के विसर्जन से जलाशयों को दूषित होने से बचाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गणेश मूर्ति विसर्जन को लेकर सभी क्षेत्रीय कार्यालयों व प्रयोगशाला प्रभारियों को निर्देशित किया गया है । प्रत्येक प्रतिमा विसर्जन स्थल का विसर्जन के पहले और विसर्जन के एक सप्ताह बाद जल गुणवत्ता की जांच करें। ताकि यह पता लगाया जा सके विसर्जन के बाद जल कितना दूषित हुआ। इस जांच में भौतिक, रासायनिक पैरामीटर जैसे पीएच, डिजाल्वड आक्सीजन, बायोकेमिकल आक्सीजन, डिमाण्ड, केमीकल्स आक्सीजन, डिमाण्ड, कण्डक्टीविटी, टर्बिडिटी, टोटर डिजाल्वड सालिड्स, टोटल सालिड्स, मेटल्स, केडमियम, क्रोमियम, आयरन, निकल, लेड , जिंक कॉपर जैसे रासायनिकों की जांच किया जाना है। इस कार्य के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों व प्रयोगशाला प्रभारियों को जल स्त्रोतों की क्षेत्रानुसार सेम्पलिंग बिन्दु निश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
अप्राकृतिक रंगो में विषैले रसायन होते है
उल्लेखनीय है कि जल स्त्रोतों में प्रतिमाओं के विसर्जन के फलस्वरूप जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है, क्योंकि मूर्ति निर्माण में उपयोग किये जाने वाले अप्राकृतिक रंगो में विषैले रसायन होते है। साथ ही प्रतिमाओं के साथ फूल, वस्त्र एवं सजावटी सामान, रंगीन कागज व प्लास्टिक आदि प्रतिमाओं के साथ विसर्जित हो जाती है। प्रतिमाओं के साथ लाई गई सामग्री जैसे वस्त्र, पूजन सामग्री, प्लास्टिक का सामान, पॉलीथिन आदि जैसे सामग्रीओं को नदी, तालाबों में विसर्जन के दौरान जल स्रोत प्रभावित होते हैं।
प्रतिमा विसर्जन हेतु निर्मित तालाब में मूर्ति विसर्जन कराया जाए जो चारों तरफ से घिरा हो तथा तल में सिन्थेटिक लाइनर लगाया जाता है। जिसमें विसर्जन के उपरान्त बचे हुए अवशेषों को किनारे पर लाकर वा मिट्टी इत्यादि को लैण्ड फिल में डाला जाता है तथा लकड़ी व बांस को पुन: उपयोग किया जा सके। मूर्ति विसर्जन के बाद 24 घण्टे के अन्दर जल स्त्रोतों में विसर्जित सामान को निकाल लिया जाए तो जल जीवन पर मूर्ति विसर्जन का न्यूनतम विपरीत प्रभाव पड़ेगा। बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा ने सभी नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे जल की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव न पड़े इसलिए जल प्रदाय वाले स्त्रोतों पर मूर्तियों का विसर्जन न किया जाए। प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए पहले से निश्चित किये गए स्थानों पर ही विसर्जन करें जिससे अन्य नादियों, तालाबो को प्रदूषण होने से बचाया जा सके।
Created On :   5 Aug 2019 3:08 PM IST