जो कल देता था रोशनी वही प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार होने के बावजूद आज अधेरे मे खो गया

give yesterday, in spite of having a government with a huge majority, got lost in the darkness today.
जो कल देता था रोशनी वही प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार होने के बावजूद आज अधेरे मे खो गया
बलिया जो कल देता था रोशनी वही प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार होने के बावजूद आज अधेरे मे खो गया

डिजिटल डेस्क,बलिया। जी हाँ आज भारतीय लोकतंत्र में सत्ता का सुख भोगने वाले नेताओं के द्रारा लोकहित मे स्थापित कल कारखानो योजनाओ के प्रति ध्यान न दिये जाने के कारण औधोगिक उपक्रम जंहा बन्द हो रहे है वही इनको चालू करने को लेकर कोई ठोस योजना न बनने से सबका साथ सबका विकास वाली सरकार में किसानों मे भारी रोष व्याप्त है 
इस प्रकार की लापरवाही का नाजारा देखना है हुजूर तो पूर्वांचल के पूर्वी छोर पर बसा बलिया लखनऊ राजधानी मार्ग पर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर रसड़ा तहसील क्षेत्र के दी किसान सहकारी चीनी मिल माधोपुर मे देखा जा सकता है ।जहाँ रोजगार सृजन एवं कृषक उन्नयन के लिए 1975 की दशक में स्थापित दी  किसान सहकारी चीनी मिल रसडा  को सरकार द्रारा घाटा दिखाकर बंद कर दिया गया जिसके कारण कभी हमेशा 6 4 एकड़ भूमि पर गुलजार रहने वाली चीनी मिल परिसर में अजीब मौत का सन्नाटा कायम हो गया है ।
देश को आजाद कराने में बलिया के वीर सपूतों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
प्रदेश में सरकार चाहे किसी पार्टी की रहीं हो लेकिन बलिया में विधायक सांसद मंत्री हमेशा रहें सत्ता पथ के रहे सभी ने किसानों को केवल वादों के सहारे ढगने का काम किया।
यहा आने पर यहां का कण कण मानो यही कहता है कि ऐ  लोकतंत्र के ठेकेदारो हमारी भी अच्छे दिन व नया जीवन दो ताकि मै हजारों किसानो के तरक्की और हजारो श्रमिको के रोजी रोटी का साधन बन सकू ।
अतित के पन्नों में दर्ज यह मिल स्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी जी ने 1975के दशक में स्थापित किया था  कुछ ही दिनों बाद इसमे घाटे में डाल दिया नेताओ व अधिकारियो की लिपापोती पूर्ण कारगुजारियो से मिल की हालत दिनपर दिन खराब हो गई जिसकी कारण सभी को खुशी तरक्की रोजी-रोटी देने वाली यह मिल आज अपने ही बदहाली पर जहां पूरा देश रामराज्य की कल्पना कर रही है ऐसे में किसान मिल आशूं बहा रही है ।
क्यो कि इसे वर्षो से बन्द कर दिया गया है जबकि लोकतंत्र में दर्जनों नेता एक एक वोट की भीख मांगने वाले राजनैतिक धुरधर नेता  केवल आश्वासन के के सिवा कुछ भी नहीं करते जिसमे क्षेत्र के किसानो व श्रमिको मे भारी रोष व्याप्त है ।
आजादी के बाद पहला ऐसा जनपद जहां कोई कल कारखाना नहीं होने से यहां के युवाओं के लिए रोजगार का कोई साधन नहीं।बलिया जिले से प्रतिदिन रोजगार के लिए आए दिन ताप्ती गंगा एक्सप्रेस व लोकमान्य तिलक से महानगरों में रोजो रोटी की तलाश में जाते है।वहीं अतित के पन्नों में दर्ज जनपद का दो कल करखाने है पहला चीनी मिल व दुसरा कताई मिल जहां हजारों मजदूर काम करते थे मगर काफी दिनों से दोनों कारखाना बंद होने रोजगार की तलाश में इधर उधर जाना पड रहा है।


 

Created On :   24 May 2022 5:58 PM IST

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