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40 प्रतिशत पुरुष व 20 फीसदी महिलाओं को मुख का कैंसर
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। 4 फरवरी को समूचे प्रदेश में विश्व कैंसर दिवस पर जनजागरण पर कार्यक्रमों का आयोजन कर कैंसर जैसी भयावह बीमारी से बचने का संदेश दिया गया। लेकिन जमीनी स्तर पर कैंसर से बचने के लिए आवश्यक उपाययोजना पर किसी तरह की चर्चा नहीं की जाएगी। सुगंधित तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध, शराब की बिक्री पर पाबंदी जैसी बातों पर लगातार हो रही अनदेखी के कारण ही आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिला भी इन दिनों मुख के कैंसर की खायी में समाता जा रहा है। टाटा ट्रस्ट और समाजसेवी डा. अभय बंग की सर्च संस्था द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि, गड़चिरोली जिले के 40 प्रतिशत पुरुष और 20 प्रतिशत महिलाएं मुख के कैंसर से पीड़ित हैं। इसका प्रमुख कारण भी सुगंधित तंबाकू से तैयार होने वाला खर्रा ही बताया गया है। बता दें कि, देश में मुंह का कैन्सर सर्वाधिक पाया जाने वाला कैन्सर होकर वर्ष 2018 में 1 लाख 19 हजार 992 लोगों को मुंह के कैन्सर से बचाया गया है। महाराष्ट्र प्रदेश का विदर्भ एकमात्र ऐसा स्थान है जहां मुंह के कैन्सर के मरीजों की संख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। टाटा ट्रस्ट और डा. अभय बंग की सर्च संस्था द्वारा किए गए एक अध्ययान के अनुसार, कैन्सर के मरीजों का एक बड़ा हिस्सा गड़चिरोली जिले के ग्रामीण इलाकों में है। इसके लिए मुंह से चबाए जाने वाला तंबाकू (खर्रा) मुख्य कारण बना हुआ है। गड़चिरोली जिले के शहरी इलाकों समेत ग्रामीण क्षेत्रों में आरंभ किए गए पानठेलों में यह खर्रा बड़ी ही आसानी से पाया जाता है। आज ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के साथ छोटे बच्चे भी खर्रे के आदी हो गये हैं। इंटरनेशनल एजेन्सी फॉर रिसर्च ऑन कैन्सर द्वारा कैन्सर के विभिन्न कारणों में तंबाकू एवं सुपारी की पुष्टि की है। कुछ समय पहले तक गुटखा जो सुपारी व अन्य सुगंधित पदार्थों का मिश्रण है, इस क्षेत्र में काफी प्रचलित था। कई शोधकर्ताओं ने गुटखे में मौजूद कैन्सर होने वाले तत्व नाइट्रोसेमिन को अधिकतम मात्रा में पाया था। कैन्सर के लिए मुख्य कारण बने सुगंधित तंबाकू की बिक्री पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध भी लगाया है। बावजूद इसके यह तंबाकू और इससे बनने वाला खर्रा विदर्भ के अधिकांश जिलों में बड़ी ही आसानी से पाया जा रहा है। विश्व कैन्सर दिवसर पर लोगों में जनजागरण करने के साथ साथ कैन्सर के प्रमुख कारणों को तलाशने की आवश्यकता है। तभी जाकर विदर्भ समेत पूरा महाराष्ट्र प्रदेश कैन्सरमुक्त हो पाएगा।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग के पास जिले में कैन्सर से पीड़ित 132 मरीजों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। इन मरीजों में 26 मुख कैन्सर, 67 स्तन कैन्सर, 7 गर्भाशय कैन्सर और 32 अन्य का समावेश है। इन मरीजों में से 110 मरीजों को सरकारी योजना के तहत प्रति 15 हजार रुपए का अनुदान प्रदान किया गया है। वहीं सभी मरीजों की निरंतर स्वास्थ्य जांच और समूपदेशन कराया जा रहा है। ग्रामीण इलाकांे में अज्ञानता के कारण ही मुख कैन्सर के मरीजों द्वारा अपना पंजीयन विभाग में नहीं होने का दावा भी उक्त रिपोर्ट में किया गया है।
डा. अभय बंग, संस्थापक, सर्च (शोधग्राम) चातगांव के मुताबिक कैन्सर के प्रमुख कारणों को खोजकर इसकी एक रिपोर्ट सरकार को पेश की गई है। मुख कैन्सर के लिए सुगंधित तंबाकू ही प्रमुख कारण है। अब सरकार को सुगंधित तंबाकू की बिक्री पर प्रभावी प्रतिबंध लगाने के लिए नीति तैयार करने की आवश्यकता है। तभी कैन्सरमुक्त प्रदेश का सपना साकार हो पाएगा।
Created On :   4 Feb 2022 6:09 PM IST