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शोध और किताब के लिए नकस्लियों के संपर्क में था, नवलखा ने हाईकोर्ट को दी जानकारी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने अपने वकील के माध्यम से बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वे अपनी किताब व शोध को लेकर नकस्लियों के संपर्क में थे। भला इस तरह के संपर्क के लिए अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून(युएपीए)के प्रावधानों के तहत कैसे मामला दर्ज किया जा सकता है। हाईकोर्ट में नवलखा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मांग की गई है भीमा-कोरेगांव हिंसा के मद्देनजर उनके खिलाफ पुणे पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले को निरस्त कर दिया जाए। पुलिस ने नवलखा पर नक्सलियों संपर्क में होने का आरोप लगाया है। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने इस मामले की सुनवाई चल रही है।
सुनवाई के दौरान नवलखा की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता युग चौधरी ने खंडपीठ के सामने कहा कि मेरे मुवक्किल एक लेखक है और समाज में शांति की स्थपना की दिशा में कार्य करते है। अतीत में जब नक्सलियों ने 6 पुलिसकर्मियों को अगवां किया था तो केंद्र सरकार ने मेरे मुवक्किल को मध्यस्थ नियुक्त किया था। मेरे मुवक्किल सिर्फ अपनी किताब व शोध के लिए नकस्लियों को संपर्क में थे। भला इस तरह के संपर्क के लिए युएपीए कानून के प्रावधानों के तहत कैसे मामला दर्ज किया जा सकता है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने नवलखा को गिरफ्तारी से मिली राहत को बरकरार रखा और मामले की सुनवाई 26 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज,वरवरा राव,अरुण फरेरा, वेरेन गोंस्लविस को भी आरोपी बनाया गया है।
Created On :   15 April 2019 8:15 PM IST