खाद्य विभाग की खानापूर्ति, जिले में मौजूद 100 दुकानें सेंपल लिए सिर्फ 11

food depertment have not taken sample from many sweets shops
खाद्य विभाग की खानापूर्ति, जिले में मौजूद 100 दुकानें सेंपल लिए सिर्फ 11
खाद्य विभाग की खानापूर्ति, जिले में मौजूद 100 दुकानें सेंपल लिए सिर्फ 11

डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की योजना ही उल्टी है। इसके चलते ग्राहकों के साथ दो तरह से ठगी हो रही है। पहली उसे मिलावटी मावा थमाया जा रहा है, वहीं दाम भी पूरे वसूले जा रहे हैं। त्यौहार के मौके पर होने वाली सेंपलिंग की एक माह बाद आने वाली जांच रिपोर्ट से ग्राहकों को कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि तब तक वह मिठाईयों का सेवन कर चुका होता है। त्यौहारी सीजन के अलावा कभी फील्ड पर जांच नहीं की जाती।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को प्रशासन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कार्रवाई का दावा किया गया है। हाल यह है कि जिले में 100 से अधिक मिठाईयों की दुकानें हैं। इसमें महज 10 आइटम के सेंपल लेने का दावा करते हुए पौने तीन लाख जुर्माना किया गया है। यहां बता दें कि विभाग द्वारा खोबा की एक, खोबे की मिठाई के 4, मगज लड्डू, सोन पपड़ी, रसगुल्ला, मलाई लड्डू, मलाई बर्फी एवं पेड़ा के 1-1 सेंपल लिए गए हैं।
शुद्धता की क्या गारंटी
दीवाली के मौके पर बाजार की होटलों से खोबा या इससे बनी मिठाईयों को शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। खाद्य औषधि विभाग की कार्रवाई पर भरोसा करें तो जांच रिपोर्ट एक माह बाद बताएगी कि आपके द्वारा लिया गया खोबा या मिठाई अमानक थी या एकदम शुद्घ?
ऐसे होती है मिलावट
होटल कारोबार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिले में हर साल बड़े त्यौहारों पर मावा निर्मित मिठाईयों की बंपर ग्राहकी होती है। घटते पशुधन और दुग्ध उत्पादन से शुद्घ मावे की डिमांड पूरी नहीं होती, इसका फायदा उठाकर शुद्घ मावे के नाम पर उपभोक्ताओं को सिंथेटिक मावा दिया जाता है, जबकि पैसे शुद्घ मावे के वसूले जाते हैं।
सूचना तंत्र कमजोर
हर साल दीवाली के दौरान खाद्य औषधि विभाग की टीमें परीक्षण के लिए आती हैं। यह जांच महज खानापूर्ति साबित होती है, चूंकि कार्रवाई की भनक लगते ही होटल संचालक सतर्क हो जाते हैं और माल छिपा दिया जाता है। विभाग का सूचना तंत्र भी कमजोर है, इस वजह से अमानक मावे की सप्लाई की खबर नहीं मिल पाती।
ऐसे बनता है मिलावटी मावा
सूत्रों का कहना है कि मिलावटी मावे के लिए दूध से तैयार शुद्घ मावे में दोगुनी मिलावट कर इसकी मात्रा बढ़ाई जाती है। इसके लिए मावे की तैयार रवेदार दिखने वाली सूजी, आरारोट, आलू और कई तरह के हानिकारक रंग और चिकनाई के लिए केमिकल और एसेंस मिलाकर ऐसा मावा तैयार किया जाता है, जिसे बिना परीक्षण अमानक साबित ही नहीं कर सकते। यही वजह है कि आम उपभोक्ता असली और नकली में फर्क नहीं समझ पाते।
मिठाई के साथ तौलते हैं डिब्बा
होटलों में त्यौहार की भीड़भाड़ का फायदा दूसरी तरह से उठाया जाता है। उपभोक्ता कानून के मुताबिक तौलकांटे पर मिठाई के वजन के साथ उसके डिब्बे का तौल शामिल नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन अधिकांश होटलों पर पैक के साथ मिठाई तौलकर कम मिठाई दी जाती है, कानूनों की जानकारी न होने से उपभोक्ता अपने साथ हो रही ठगी से अनजान रहते हैं।
कर रहे कार्रवाई
यह बात सही है कि मावे की टेस्ट रिपोर्ट आने में समय लगता है। दीपावली से पहले ही जिले में कार्रवाई की जा रही है। सेंपलिंग के भी शार्ट टारगेट होते हैं इसके लिए रूटीन में सेंपलिंग की जाती है। कहीं भी हानिकारक तत्वों से बनी मिठाईयों की बिक्री की जानकारी मिले तो सीधे कार्रवाई की जाएगी।
डाक्टर गिरीशचन्द्र चौरसिया सीएमएचओ, नरसिंहपुर

 

Created On :   17 Oct 2017 1:17 PM IST

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