फीवर क्लीनिक खुद बीमार-तेज बुखार, सिरदर्द लेकिन सेंटर में सिर्फ फारमेलेटी का उपचार

Fever clinics themselves ill - high fever, headache, but only treatment of formality in the center
फीवर क्लीनिक खुद बीमार-तेज बुखार, सिरदर्द लेकिन सेंटर में सिर्फ फारमेलेटी का उपचार
फीवर क्लीनिक खुद बीमार-तेज बुखार, सिरदर्द लेकिन सेंटर में सिर्फ फारमेलेटी का उपचार



डिजिटल डेस्क जबलपुर। बड़े तामझाम के साथ जिले में क्षेत्र स्तर पर स्वास्थ्य विभाग ने 38 फीवर क्लीनिक खोले। इन दावाखानों की शुरुआत के पीछे आशय यही है कि अलग-अलग क्षेत्र स्तर पर कोरोना की जाँच हो सके, साथ में लक्षणों पर आधारित परामर्श भी दिया जा सके। जब कोरोना कुछ सीमित दायरे में था, तो इनमें व्यवस्थाएँ फिर भी कुछ दिखती थीं लेकिन अब तो स्वास्थ्य सेवा बिगडऩे के साथ ही इन क्लीनिकों से जनता निराश होकर लौट रही है। कोविड सैंपलिंग प्रभारी डॉ. अमिता जैन कहती हैं कि क्लीनिक में अनेकों गैर जरूरी पीडि़तों के आने से भी काम पर असर होता है, जो काम इन क्लीनिकों को सौंपा गया है वो पूरी शिद्दत के साथ कर रहे हैं।
ऐसे है हाल-
-ज्यादातर क्लीनिकों के बाहर सुबह से लेकर तपती दोपहर तक इनके सामने पीडि़त खड़े तो रहते हैं, पर इनमें न तो उपचार समय पर मिलता है, न आए हुए सभी लोगों का सैंपल किया जा रहा है।
- इन फीवर क्लीनिकों की व्यवस्था बिगडऩे के लिए स्वास्थ्य विभाग का अजीब तर्क है। कहा जा रहा है कि अनेक लोग बेवजह भी आ रहे हैं, जिससे सामान्य स्वास्थ्य सेवा देने में परेशानी हो रही है।
- वहीं पीडि़त कहते हैं कि इलाज करने वालों से लेकर इसके जिम्मेदार गंभीर नहीं हैं, जिससे असल परेशानी है। घंटों तक इंतजार कराया जाता है और आधी अधूरी परेशानी सुनी जाती है।
सीमित मिल रही जाँच किट-
इन क्लीनिकों को जाँच किट कभी 40 दिए जाते हैं, तो कभी 50 मिलते हैं। बीमार परिवार के सदस्य आरोप लगाते हैं कि कई बार तो 20 से 30 सैंपल लेने के बाद ही मना कर दिया जाता है और इन हालातों में गेट से ही वापस लौटना पड़ता है। रैपिड टेस्टिंग की शुरूआत में इनमें व्यवस्था थी पर यह भी कई जगह बंद कर दी गई है। ज्यादातर आरटीपीसीआर के सैंपल लिए जाने के निर्देश हैं।
समय से पहले गायब-
जिले के दूर क्षेत्रों में खोले गए क्लीनिकों से लेकर शहर के मध्य क्षेत्र तक के इन दवाखानों में निर्धारित जो समय है, उसके पहले इनमें सहयोगी स्टाफ नदारद मिलता है। दरवाजे पर सूचना चस्पा कर दी जाती है कि जाँच नहीं हो सकती है, किट सीमित थी। जिम्मेदार कहते हैं कि इस अंदाज में क्लीनिक पीडि़तों को वापस नहीं लौटा सकते हैं यदि जाँच नहीं हो सकती तो प्राथमिक रूप से परामर्श भी देना होगा, ताकि पीडि़त घर में ही रहकर उसको फॉलो कर सके, पर अब सलाह भी मुश्किल हो गई है।
यहाँ संचालित हो रहे -
रांझी हॉस्पिटल, स्नेह नगर, परसवाड़ा, तिलवारा, मोतीनाला, उखरी, जानकी नगर, गुप्तेश्वर, गोरखपुर, पोलीपाथर, कजरवारा, घमापुर, एल्गिन हॉस्पिटल, अधारताल, सुहागी, सुभाष नगर, संजय नगर, बड़ा पत्थर, कोतवाली, मोतीनाला, संजीवनी क्लीनिक, पुलिस लाइन हॉस्पिटल, मनमोहन नगर, सेंट्रल रेलवे हॉस्पिटल, मोबाइल यूनिट वीआईपी, पनागर, मझौली, शहपुरा, कुण्डम, पाटन, कटंगी, बरगी, बरेला, गोसलपुर, सिहोरा आदि में ये संचालित हैं।
एक नजर इस पर भी -
-शहर में फीवर क्लीनिक - 28
-गाँव में फीवर क्लीनिक -10
-टेस्टिंग की सुविधा है - 34
-खुलने की टाइमिंग - सुबह 10 से 5 बजे
-परामर्श जाँच का समय - दोपहर 2 बजे तक
-यहाँ पर टीके भी लगाए जा रहे।

 

Created On :   25 April 2021 9:02 PM IST

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