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झाबुआ: जिले में उर्वरक की निर्वाध आपूर्ति बनाये रखने के उद्देश्य से उर्वरक विक्रेता, उर्वरक विक्रय पी.ओ.एस. मशीन से ही करें पी.ओ.एस. मशीन एवं वास्तविक स्कन्ध में भिन्नता न रखें
डिजिटल डेस्क, झाबुआ। झाबुआ भारत सरकार द्वारा उर्वरक विक्रय में डी.बी.टी. योजना लागू की गई है। इसके अनुसार सभी उर्वरक विक्रेताओं को पी.ओ.एस. मशीन के माध्यम से ही उर्वरक विक्रय किया जाना अनिवार्य है। पी.ओ.एस. मशीन में प्रदर्शित स्कन्ध एवं भौतिक रूप से भण्डारित स्कन्ध में भिन्नता नहीं होना चाहिए। उर्वरक विक्रेता को इसका विशेष ध्यान रखना होगा। इसके लिए विभाग द्वारा सघन अभियान भी चलाया जा रहा है। जिले में किसी भी उर्वरक विक्रेताओं के प्रतिष्ठान पर पी.ओ.एस. मशीन में प्रदर्शित स्कन्ध एवं वास्तविक रूप से भण्डारित स्कन्ध में विसंगति पाई जाने पर उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के तहत कार्यवाही की जावेगी। यूरिया तथा डी.ए.पी. जैसे उर्वरकों को पी.ओ.एस. मशीन के माध्यम से ही विक्रय की अनिवार्यता है। उर्वरक क्रय के लिए आने वाले क्रेता कृषक का पी.ओ.एस. मशीन में अंगूठा का निशान अंकित करवाने के उपरांत ही उर्वरक विक्रय किया जाना चाहिए। उप संचालक श्री एन.एस.रावत ने जिले के समस्त निजी उर्वरक थोक, खेरची विक्रेताओं से अपील की है कि वे शासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए ही उर्वरक विक्रय करें। जिले की सहकारी समितियों, विपणन संघ के उर्वरक विक्रय केन्द्रों पर भी इस प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।यूरिया, डी.ए.पी. जैसे उर्वरकों की आपूर्ति और उचित मूल्य पर विक्रय व्यवस्था निर्वाध बनाये रखने के लिए पी.ओ.एस. मशीन से विक्रय की प्रक्रिया का अनुपालन अति आवश्यक है। यदि किसी उर्वरक विक्रेता के यहाँ पी.ओ.एस. मशीन किसी कारणवश कार्य नहीं कर रही हों तो कम्प्यूटर आधारित डेस्कटॉप वर्शन का प्रयोग कर उर्वरक विक्रय किया जा सकता है। किसी कृषक का मशीन में अगुंठा का निशान अंकन में कठिनाई होने की स्थिति में कृषक आधार नम्बर अथवा वोटर आई.डी./किसान क्रेडिट कार्ड का नम्बर उपयोग करते हुए भी यूरिया, डी.ए.पी. उर्वरक की व्यवस्था भी प्रावधानित की गई है। उप संचालक कृषि द्वारा अधिनस्त विकासखण्डों के उर्वरक निरीक्षक एवं मैदानी अमलों की जिला कार्यालय में बैठक आहुत की जाकर सघन अभियान चलाये जाने के लिए कडे़ निर्देश दिये गये है। उन्होने जिले के समस्त उर्वरक विक्रेताओं से यह भी आव्हान करता है कि निर्धारित उचित मूल्य पर ही उर्वरक का विक्रय करें। निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन पाये जाने की स्थिति में संबंधित विक्रेता उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के तहत कार्यवाही के भागीदार होगें।
Created On :   6 Nov 2020 2:57 PM IST