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किसान कर्ज माफी के बावजूद रुक नहीं रही किसानों की आत्महत्याएं, औरंगाबाद-नागपुर विभाग में मामले ज्यादा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। किसान कर्जमाफी सहित खेती के लिए कई तरह की सरकारी घोषणाओं के बावजूद महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) से मिली जानकारी के मुताबिक 2020 में 2547 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी जबकि बीते साल के 11 महिनों के दौरान (1 जनवरी 2021 से 31 नवंबर 2021) 2489 किसानों ने मौत को गले लगा लिया। औरंगाबाद व नागपुर विभाग में किसान आत्महत्या की घटनाओं में अधिक बढ़ोतरी हुई है।
आत्महत्या ग्रस्त आधे परिवारों को ही मिल सकी मदद
आरटीआई कार्यकर्ता जीतेंद्र घाडगे द्वारा महाराष्ट्र के राजस्व विभाग से हासिल जानकारी के मुताबिक किसान आत्महत्या पीड़ित परिवार को सरकार की तरफ से दी जाने वाली एक लाख रुपए की मदद केवल 50 फीसदी पीड़ित परिवारों को ही मिल सकी है। बाकी 50 फीसदी परिवारों को अपात्र ठहरा दिया गया है। इसका कारण 19 दिसंबर 2005 को जारी शासनादेश में शामिल शर्तों को बताया गया है। घाडगे कहते हैं कि नियमों के अनुसार केवल सरकारी बैंकों से कर्ज लाने वाले किसान परिवारों को ही मदद मिलती है। साहूकारों से कर्ज लेने वाले किसान के आत्महत्या करने से आर्थिक मदद नहीं मिल पाती। घाडगे ने बताया कि वर्ष 2018 में शुरु ‘गोपानीथ मुंडे शेतकरी अपघात बीमा योजना’ के तहत मिलने वाली 2 लाख की आर्थिक मदद भी आत्महत्या ग्रस्त किसान परिवारों को नहीं मिल रही है क्योंकि इस बीमा योजना में ‘आत्महत्या’ का उल्लेख नहीं है।
विदर्भ में 50 फीसदी आत्महत्या
महाराष्ट्र में होने वाली किसान आत्महत्या की 50 फीसदी घटनाएं विदर्भ में हुई हैं। 2021 में अमरावती जिले में 331 व यवतमाल में 270 किसानों ने आत्महत्या की। नागपुर विभाग में वर्ष 2020 में जहां 269 किसानों ने आत्महत्या की थी, वहीं 2021 में खुदकुशी करने वाली किसानों की संख्या बढ़ कर 309 हो गई। इसी तरह औरंगाबाद विभाग में वर्ष 2020 में 773 किसानों ने आत्महत्या की थी जो 2021 में बढ़ कर 804 हो गई। नागपुर विभाग में सबसे ज्यादा वर्धा (134) के किसानों ने आत्महत्या की जबकि औरंगाबाद विभाग में बीड (175) जिले में सबसे अधिक किसानों ने खुदकुशी की है। कोंकण विभाग में किसान आत्महत्या की कोई घटना सामने नहीं आई।
किसानों की मानसिक सेहत पर देना होगा ध्यान
यंग व्हिसल ब्लोवर फाउंडेशन के संयोजक जितेंद्र घाडगे कहते हैं कि किसानों के मानसिक स्वास्थ्य की तरफ ध्यान न दिए जाने की वजह से किसान आत्महत्या की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। वे कहते हैं कि केवल कर्जमाफी से किसान आत्महत्या की घटनाएं नहीं रुकेगी।
बाक्स...
विभाग वर्ष किसान आत्महत्याएं
नागपुर 2020 269
2021 309
अमरावती 2020 1128
2021 1056
औरंगाबाद 2020 773
2021 804
नाशिक 2020 351
2021 307
पुणे 2020 26
2021 13
कोंकण 2020 0
2021 0
Created On :   22 Jan 2022 1:56 PM GMT