कठोर हो रहे खेत, तापमान भी ज्यादा: गेहूं की बोवनी के लिए पानी की मांग

Farmers have been demanding water for the Sowing of wheat
कठोर हो रहे खेत, तापमान भी ज्यादा: गेहूं की बोवनी के लिए पानी की मांग
कठोर हो रहे खेत, तापमान भी ज्यादा: गेहूं की बोवनी के लिए पानी की मांग

डिजिटल डेस्क डिण्डौरी। जिले में गेहूं की बोवनी के लिए किसानों द्वारा पानी की मांग की जाने लगी है। किसानों का कहना है कि जहां मौसम साथ नहीं दे रहा है। वहीं धरती भी कठोर होती जा रही है जिससे जिले में गेहूं की बोवनी की संभावना अब क्षीण होती नजर आ रही है। यहां अधिकांश किसानों ने गेहूं की बोवनी को लेकर प्रशासन से पानी दिए जाने की मांग की है। बताया जाता है कि अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह के दौरान तापमान में गिरावट का दौर नहीं बन पा रहा है और पड़ रही गर्मी के कारण जमीन भी तेजी से कठोर बनती जा रही है। किसानों का कहना है कि इस वर्ष अल्प वर्षा के चलते खरीफ फसलों को भी नुकसान पहुंचा था वहीं जिले के छोटे जलाशय कहे जाने वाले 90 प्रतिशत टैंकों में पानी की क्षमता निर्धारित मापदण्ड की तुलना में आधा होना बताया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे गेहूं को छोड़कर अन्य फसलों जिसमें दलहनी व तिलहनी फसलें है की बोवनी करें जहां पानी की उपयोगिता कम होती है। किसानों से कहा गया है कि वे चना, मटर, मसूर, अलसी, राई आदि की फसल बोए जिससे उन्हें खेती में नुकसान न उठाना पड़े। यहां किसानों का कहना है कि जिले में गेहूं पैदावार न होने से किसानों की स्थिति भी बिगड़ जाएगी और उन्हें भी बाजार से गेहूं लेकर खाना पड़ेगा। -
घी जमने के साथ होती थी बोवनी
किसानों का कहना है कि वे गेहूं की बोवनी के लिए सबसे उपयुक्तसमय दीपावली के आसपास का मानते रहे है। जहां घी जमने के साथ ही किसान अपने खेतों में गेहूं की बोवनी करना शुरू कर देते थे, लेकिन इस वर्ष तापमान में बदलाव नजर नहीं आया है और अक्टूबर माह के दौरान अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। जिसके कारण पड़ रही गर्मी से जमीन भी कठोर हो चुकी है। कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि तापमान 15 से 21 डिग्री सेल्सियस के बीच आ जाने के बाद ही गेहूं की बोवनी लाभदायक हो सकती है।
15 नवम्बर से दिया जाएगा पानी
रबी सीजन में किसानों को पानी 15 नवम्बर के बाद से दिया जाएगा। इसके लिए ईएनसी के द्वारा निर्देश जारी किए गए है। बताया जाता है कि जिले के 97 जलाशयों में पानी का स्तर सिर्फ एक जलाशय को छोड़कर सभी में काफी कम है और जहां जलाशयों में 104 एमसीएम पानी की व्यवस्था होना चाहिए उसकी एवज में सिर्फ 55 एमसीएम पानी जलाशयों में भरा जा सका है। ऐसी स्थिति में 50 प्रतिशत जल भराव है। जिले में लगभग दो लाख कृषिहर भूमि है, लेकिन सिंचित भूमि का प्रतिशत सिर्फ 11 है जहां छोटी परियोजनाओं के माध्यम से पानी की पूर्ति की जाती है। ऐसे हालात में अंतिम दौर में सिचाई कार्य प्रभावित हो सकता है।
डेढ लाख हेक्टेयर में होती है बोवनी
जिले में रबी सीजन के दौरान लगभग डेढ लाख हेक्टेयर में बोवनी की जाती है। जिसमें सबसे अधिक बोवनी 48 हजार हेक्टेयर में गेहूं की होती है। अधिकारियों का कहना है कि जिले का 11 प्रतिशत रकबा ही सिंचित है और ऐसे हालात में शेष रकबे पर पानी पहुंचाना संभव नहीं है। जिससे किसानों को अन्य फसलों की ओर ध्यान देना चाहिए। बताया जाता है कि जिले में चना लगभग 30 हजार, मटर 9 हजार, मसूर 4 हजार, अलसी 10 हजार,  राई 11 हजार हेक्टेयर में बोई जाती है। इसके अलावा अन्य फसलें लगाई जाती है और रकबा डेढ़ लाख के करीब पहुंच जाता है। इनमें से अधिकांश फसलों के लिए पानी कम लगता है और जिले की मिट्टी भी गेहूं को छोड़कर शेष फसलों के लिए उपजाऊ मानी गई है।
इनका कहना है
जिले में अल्पवर्षा के कारण जमीन कठोर पड़ रही है जिसे लेकर किसानों को गेहूं की जगह अन्य फसलों को बोए जाने की सलाह दी जा रही है।
पी.डी.सराठे, संचालक कृषि
जिले के अधिकांश जलाशयों में जल स्तर 50 फीसदी से भी कम है। वहीं पानी देने के लिए 15 नवम्बर के बाद की समय अवधि निर्धारित की है।
ए.के. डेहरिया, ईई सिचाई विभाग

 

Created On :   24 Oct 2017 1:20 PM IST

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