खरीफ फसल की तैयारी में जुटे किसान, बेमौसम बारिश ने बढ़ाई चिंता

Farmers engaged in preparation for Kharif crop, unseasonal rains raised concern
खरीफ फसल की तैयारी में जुटे किसान, बेमौसम बारिश ने बढ़ाई चिंता
भंडारा खरीफ फसल की तैयारी में जुटे किसान, बेमौसम बारिश ने बढ़ाई चिंता

डिजिटल डेस्क, भंडारा।  रविवार 15 अप्रैल से अचानक मौसम में बदलाव होकर बेमौसम बारिश ने भी दस्तक दी है। वहीं मौसम विभाग द्वारा मानसून नियोजित समय के पूर्व दाखील होने का अनुमान दर्शाया गया है। बदरील मौसम के कारण तापमान में गीरावट दिखाई देने से नागरिकों ने भी राहत की सास ली है। नियोजित समय के पूर्व मानसून पहुचने की खबर से किसानों के चहेरे भी खील उठे है। खरीफ मौसम की पूर्व तैयार में गती आई है, बीज व रासायनिक खाद की चर्चा किसानों में शुरू हो गई है। जिले का तापमान 44 डिग्री तक पहुच गया है, धुप की तपन लोगों को बेहाल कर रही है, कूलर व पंखे भी काम नही कर रहे है, शरीर से पसीने की धारा बह रही है, इस प्रकार की परिस्थिती गत माह में थी। ऐसे में शुक्रवार से मौसम में बदलाव हुआ व रविवार की शाम बदरीला मौसम के साथ तुमसर तहसील में जिले के अन्य कुछ परिसर में बारिश हुई। किसानों की निगाहें मानसून पर टीकी हुई है। फिलहाल खेतों में नागंर, बखर, गोबरखाद डालना, धुरे व बंधारों को जलाकर स्वच्छ करने के साथ ही नियोजित बिज की जांच किसानों द्वारा की जा रही है। बेमौसम बारिश और मानसून के शीघ्र पहुचने के अनुमान से रबी धान उत्पादक किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों के घरों में धान की बोरिया पड़ी हुई है, समर्थन मूल्य धान खरीदी केंद्र अब तक शुरू नही हुए है। किसानों के हाथ में पैसा नही है, आरंभ में बुआई योग्य बारिश हो गई तो बुआई की तैयारी कैसे करे? इस प्रकार का सवाल किसानों को सता रहा है। 

कृषि भूमि को किया जा रहा तैयार   

लाखांदुर तहसील में खरीफ मौसम से पूर्व किसान कृषि कार्यो में जुट गए है। खरीफ मौसम की मुख्य धान फसल के लिए पानी, खाद, उर्वरक, बीज और खेत तैयार करने के लिए संसाधनों की नितांत आवश्यकता होती है। इस मौसम के मृग नक्षत्र के बाद आनेवाली बरसात के उपरांत प्रमुख धान और अन्य खरीफ फसलें ली जाती है। किसान सब्जी-भाजी की फसल भी उगाते है। हजारों हेक्टयर क्षेत्र में खरीफ फसलें ली जाती है। जून से सितंबर तक चार माह का बरसात का मौसम खरीफ फसलों के लिए अनुकूल होता है। इसके मद्देनजर किसानों ने वर्तमान में जमीन की मशक्कत आरंभ कर दी है। और खेतों को बुआई-रोपाई के लिए तैयार करने में जुट गए है। बताया गया कि लाखांदुर तहसील में 2 नदियों के अलावा इटियाडोह और गोसीखुर्द बांध के पानी से फसलों की सिंचाई की जाती है। तहसील मामा तालाबों, बोड़ियों, गांव, खेतों के करीब से बहने वाले नालों और बारिश के पानी को खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए उपयुक्त माना जाता है। तहसील में इस तरह के करीब तथा आधा दर्जन जलस्तोत्र सिंचाई के लिए उपलब्ध है। कृषि क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि इन सभी जनस्तोत्रों का समुचित तरीके से उपयोग किया जाए तो क्षेत्र के किसान अच्छी उपज हासिल कर सकते है। 

 

Created On :   18 May 2022 7:20 PM IST

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