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अधिकारियों की हड़ताल से किसान बेहाल, ना बीज मिला, ना हुआ मिट्टी परीक्षण
डिजिटल डेस्क, उमरिया। बरसात का मौसम लगभग शुरू हो चुका है। जिले में तीन दिन सामान्य वर्षा हो चुकी है। ऐसी स्थित में किसानों ने खरीफ फसल की खेती बाड़ी भी शुरू कर दी है। धान की नर्सरी लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जानी चाहिए, लेकिन अभी तक किसानों को बीज ही उपलब्ध ही नहीं हो पा रहा है, इससे किसान परेशान हालत में भटक रहे हैं। जिले में प्रति वर्ष औसतन 10 हजार क्विंटल धान के उन्नत बीज मंगाए जाते हैं, लेकिन इस वर्ष कृषि विस्तार अधिकारियों की हड़ताल से न तो बीज मंगाया जा रहा है और न बरसात पूर्व मिट्टी परीक्षण हुआ। मिट्टी के 16 सौ नमूने जांच की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 3 हजार से अधिक की संख्या में स्वाइल हेल्थ कार्ड किसानों को बंटने थे वह भी ठप्प पड़ा हुआ है।
ज्ञातव्य है कि जिले में खरीफ की बोनी 80 हजार हेक्टयर भूमि पर की जाती है और यहां किसानों की संख्या 1 लाख 20 हजार बताई जाती है। बीज की उपलब्धता नहीं होने पर किसान सहकारी समितियों तथा ब्लाक कृषि कार्यालयों के चक्कर काट कर निराश लौट जाते हैं। इससे उनकी चिंता बढ़ती जा रही है। कृषि विस्तार अधिकारी एक सूत्रीय मांग को लेकर 28 मई से हड़ताल कर रहे हैं।
डिमाण्ड ही नहीं भेजी जा रही
जिले में धान का बीज मंगाने के लिए कृषि विस्तार अधिकारियों द्वारा उन्नत बीजों की डिमाण्ड भेजी जाती है, लेकिन इस वर्ष हड़ताल के कारण न तो अभी तक डिमाण्ड भेजी गई और न धान का बीज आया है। यहां आइआर 64, एमटीएफ 10-10, उषा बासमती आदि करीब 10 किस्मों के उन्नत बीज मगा कर किसानों को दिए जाते हैं, लेकिन अभी तक बीज नहीं मंगाए जाने से धान की फसल प्रभावित होने के आसार नजर आने लगे हैं।
खासतौर पर धान की श्रीपद्धति और अरहर की धारवाड़ पद्धति। दोनो की खेतों में पूर्व तैयारी करनी पड़ती है। श्री पद्धति और रोपा के लिए नर्सरी की बहुत आवश्यकता होती है। बताया जाता है कि धान की अच्छी फसल लेने के लिए 9-10 जून से नर्सरी की तैयारी शुरू करनी पड़ती है। इस वर्ष किसान चिंतित से नजर आने लगे हैं।
मिट्टी नमूनों की कब होगी जांच
केन्द्रों में किसानों द्वारा लाए गए मिट्टी के डेढ़ हजार से भी अधिक नमूने पड़े हैं, लेकिन जांच के लिए प्रयोगशाला में नहीं भेजे जा रहे हैं। खरीफ की अच्छी फसल लेने के लिए किसान गर्मी में मिट्टी परीक्षण कराता है और उस अनुरूप कृषि विस्तार अधिकारियों तथा कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर उर्वरक का प्रयोग करता है। लेकिन इस वर्ष दो-ढाई महीने के अंतराल में जितने नमूने आए वे सभी पड़े हुए हैं। उनकी कब जांच होगी और कब किसान खाद खरीद कर खेतों में डालेगा, यह चिंता किसानों में व्याप्त है।
स्वाइल हेल्थ कार्ड नहीं बंट रहे
ब्लाक कृषि कार्यालयों में किसानों के 3 हजार से भी अधिक स्वाइल हेल्थ कार्ड पड़े हैं, इनमें से अधिकांश बन कर तैयार हैं और कुछ बनने की प्रक्रिया में हैं। किसान इनका पता लगाने हर दो-चार दिन में कार्यालय आता है और यहां ताला बंद देखकर लौट जाता है। स्वाइल हेल्थ कार्ड उन किसानों को मिलता है जिनका मिट्टी परीक्षण हो चुका होता है। कार्ड मेें मिट्टी का सारा ब्यौरा दर्ज किया जाता है। साथ ही संक्षेप में किसानों को मार्गदर्शन भी उल्लिखित किया जाता है।
इनका कहना है
कर्मचारियों की हड़ताल से कुछ कार्य प्रभावित है लेकिन शीघ्र ही वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। उसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं।
पीके कौरव, सहायक संचालक कृषि
Created On :   15 Jun 2018 1:57 PM IST