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जिले की कोई तहसील सूखाग्रस्त घोषित नहीं होने से किसान परेशान
डिजिटल डेस्क,डिंडौरी। बीते दिनों प्रशासन ने 13 जिलों की 110 तहसीलों को सूखा प्रभावित घोषित किया, लेकिन इसमें जिले की एक भी तहसील शामिल न होने से किसानों में मायूसी है। अब तक किसान मानकर चल रहे थे कि जिस प्रकार के हालात है उससे पूरा जिला सूखा घोषित होगा। जिला नही तो कम से कम कुछ तहसील तो सूखा के दायरे में आएगी, लेकिन जो सूची जारी हुई, उसमें जिले की एक भी तहसील शामिल नहीं होने से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है।
गौरतलब है कि सामान्यत: जिले में औसत बारिश से 60 प्रतिशत कम बारिश होने पर या फिर ड्राई स्केल अर्थात बारिश में अधिक अंतर होने पर सूखे की घोषणा होती है। जिले में यह दो स्थितियां बनी। वहीं यहां ड्राई स्केल की स्थिति भी देखने में आई। जुलाई में हल्की बारिश के बाद सीधे सितंबर महीने के चार-पांच दिन और अब अक्टूबर में एक दिन बारिश हुई। इसके बाद भी जिले को फिलहाल सूखा प्रभावित क्षेत्र में शामिल नही किया गया है। इधर प्रशासन यह तो दावा कर रहा है कि प्रदेश को सभी आवश्यक रिपोर्ट पहले ही भेज दी गई थी, लेकिन फिलहाल यह पता नही चल सका है कि उसमें जिले को सूखा प्रभावित घोषित करने की अनुशंसा की गई थी या नही।
किसान पर दोहरी मार
इस साल किसान पर दोहरी मार पड़ गई। खरीफ सीजन में मौसम की बेरुखी के कारण सोयाबीन की फसल खराब हो गई। तो जब बारिश की जरूरत थी उस समय पानी नही गिरने से कम पानी वाली फसल भी पीला मोजेक रोग की चपेट में आ गई। कुछ कमी थी तो जब फसल पककर तैयार हुई उस समय बारिश हो गई। जिससे उत्पादन घटा और गुणवत्ता प्रभावित हो गई। कुछ इलाकों में तो फसल इतनी खराब हुई कि किसानों ने खेत को ही बखर दिया। इतनी सब विपरीत परिस्थितियों के बाद किसानों को उम्मीद थी कि प्रशासन सूखा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर उन्हे राहत प्रदान करेगा, तो फिलहाल वह उम्मीद भी टूट गई।
जिले को यह मिलता फायदा
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पलायन रोकने के लिए राहत कार्य शुरू होते। किसानों को खाद बीज पर शासन द्वारा अनुदान दिया जाता। बीमा का क्लेम जल्दी मिलता। किसानों से कृषि ऋ णों की वसूली स्थगित हो जाती। जल संसाधन विभाग की रिकवरी में भी डील दी जाती। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के परिवहन के लिए शासन से स्वीकृति मिलती। पेयजल की समस्या से निपटने अतिरिक्त प्रयास होते।
बार-बार दिया था ज्ञापन
गौरतलब है कि जिले को सूखा ग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर बीते दिनों किसानों ने ज्ञापन भी सौपा था। बावजूद इसका कोई असर न होने और शासन की ओर से जो सूची जारी हुई, उसमें जिले की एक भी तहसील शामिल नहीं होने से सभी आश्चर्य में है। किसानों के अनुसार अब इसके पीछे शासन की क्या मंशा रही इसके बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता पर इतना जरूर है कि सूखा घोषित होना था। इधर इस मामले में एसडीएम अनिल सोनी से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि करंजिया, अमरपुर, डिण्डौरी में फसलों की स्थिति अच्छी है कुछ क्षेत्रों में जरूर स्थिति सामान्य नहीं है। सूखा ग्रस्त का प्रस्ताव कृषि विभाग बनाकर भेजता है हो सकता है कि आगामी बैठक में कुछ निकलकर सामने आए।
किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष कृष्णा सिंह परमार का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में किसानों की फसलों की स्थिति अच्छी है हालांकि कई खेतों में रोपा भी नहीं लग सका है बारिश कम होने से इस बार काफी स्थिति बिगड़ी है। जिले को सूखा ग्रस्त किए जाने की मांग की गई थी ताकि किसानों को राहत मिल सके।
Created On :   14 Oct 2017 9:46 AM IST