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फर्जी नियुक्ति मामला: मास्टर माइंड तक नहीं पहुंच पा रही पुलिस
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । हर्रई में फर्जी नियुक्ति का मामला उजागर हुए 15 दिनों से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन पुलिस तक मामला जाने के बाद भी इस प्रकरण में अभी तक कोई खुलासा नहीं हो पाया है। पूरे प्रकरण का मास्टर माइंड कौन है ये राज आज भी एक राज ही बना हुआ है। अब तो ये भी बात सामने आ रही है युवती ने जो बयान पहले दर्ज कराए थे वो भी संदेहास्पद बने हुए हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग से निकले नियुक्ति आदेश से पूजा सिंगोतिया नामक युवती ने बटकाखापा छात्रावास में वार्डन के पद पर ज्वाईनिंग दे दी। मामला उछला तो अधिकारियों ने बीईओ से पूरे मामले की जांच करवा दी। यहां तक की ये भी कहा जाने लगा कि जो नियुक्ति आदेश जारी हुए हैं वह पूरी तरह से फर्जी है। ऐसा कोई नियुक्ति आदेश जिला कार्यालय से निकला ही नही। पहले बटकाखापा और फिर कोतवाली पुलिस ने में भी प्रकरण में जांच की, लेकिन इस प्रकरण में जो सस्पेंस पहले बना हुआ था वह आज भी बना हुआ है।
पूरे मामले में सस्पेंस क्या-
इस पूरे फर्जी नियुक्ति के मामले में बड़ी दिलचस्प बात ये हैं कि युवती को जो आदेश थमाए गए थे वो आदेश 14 फरवरी 2020 के हैं। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और आदिम जाति कल्याण विभाग में नियमों के नाम पर सिर्फ नेताओं और अधिकारियों का ही बस चलता था। इस दौरान बड़े- बड़े घोटाले आदिम जाति कल्याण विभाग मे हुए, लेकिन कांग्रेसी विधायकों की शह पर एक प्रकरण में भी जांच नहीं हो पाई। इस मामले को भी घोटालों की उस फेहरिश्त से ही देखा जा रहा है। आदेश फरवरी में निकले, लेकिन युवती ने ज्वाईनिंग सितंबर में दी थी।
डेढ़ लाख के सौदे की बात-
इस पूरे प्रकरण में डेढ़ लाख के सौदे की बात भी सामने आ रही है। बटकाखापा पुलिस के सामने युवती ने जो बयान दिए हैं। उसमें स्पष्ट कहा गया है कि उससे डेढ़ लाख रुपए लेकर ही नियुक्ति आदेश थमाए गए थे। जिसमें हर्रई के ही स्थानीय लोगों के नाम युवती ने लिए थे वहीं जिला कार्यालय के बाबूओं की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध बताई जा रही थी।
Created On :   31 Oct 2020 11:12 PM IST