हर चौथा शख्स है नागपुरी खर्रे का शौकीन, हर माह 30 करोड़ की बिक्री

Every fourth person is Nagpuri Khrera fond, selling 30 million every month
हर चौथा शख्स है नागपुरी खर्रे का शौकीन, हर माह 30 करोड़ की बिक्री
हर चौथा शख्स है नागपुरी खर्रे का शौकीन, हर माह 30 करोड़ की बिक्री

चंद्रकांत चावरे,नागपुर। उपराजधानी का नागपुरी खर्रा दूर-दूर तक अपनी पहचान बना रहा है । इसके दुष्परिणाम होने की जानकारी रहने के बावजूद शहर के हर चौथे शख्स की जेब में नागपुरी खर्रा देखा जा सकता है। नागपुर ही नहीं पड़ोसी राज्यों तक इसकी काफी मांग है।  शहर में हर माह  30 करोड़ का खर्रा बिकने की जानकारी है।  कुछ साल पहले शहर के लगभग हर पानठेले और किराना दुकानों पर गुटखा जमकर बिकता था। तंबाकू या तंबाकूजन्य पदार्थों से होने वाले दुष्परिणाम को देखते हुए सरकार ने इस पर पाबंदी लगा दी। इसके साथ ही नागपुरी खर्रे पर भी पाबंदी लगायी गई थी। इसमें भी सुगंधित तंबाकू का उपयोग किया जाता है। कुछ दुकानदारों ने कार्रवाई के डर से गुटखा बेचना बंद कर दिया तो कुछ अब भी चोरी-छिपे बेच रहे हैं। गुटखा मिलना बंद होने के बाद खर्रे का चलन बढ़ गया। शौकीनों ने खर्रे को सिर पर बिठाया। बढ़ते शौक के कारण मांग बढ़ी तो इस छोटे से खर्रे का कारोबार बड़े पैमाने पर होने लगा। इसके होलसेल बेचवाल तैयार हो गए। अकेले नागपुर शहर में हर महीने करीब 30 करोड़ रुपए के खर्रे बिकने लगे हैं।

इस तरह फलने-फूलने लगा कारोबार
सितंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया था कि सभी तरह के तंबाकू और तंबाकूजन्य पदार्थों पर पाबंदी है। इसके बाद नागपुर महानगर पालिका और अन्न औषधि प्रशासन ने कार्रवाई की। कई लोगों से जुर्माना वसूला गया। इसके लिए पुलिस की मदद ली गई। कुछ समय के लिए गुटखा और खर्रा गायब हो गया। लेकिन महीना-डेढ़ महीना बाद फिर से सभी दुकानदार दोगुने जोश से खर्रा बेचने लगे। कुछ लोग तो चाेरी-छिपे गुटखा भी बेचने लगे। यह काम अब भी धड़ल्ले से चल रहा है। खर्रे के मामले में डर पूरी तरह खत्म हो चुका है। नागपुर महानगर पालिका और अन्न औषधि प्रशासन भी इसके प्रति लापरवाही बरत रहे हैं। परिणामस्वरूप यह कारोबार इतना फल-फूल रहा है अन्य व्यवसाय की तरह इसका शुमार भी करोड़ों के कारोबार में हो चुका है।

इस तरह फैला है नेटवर्क
शहर के अधिकतर चाय या किराना दुकानों पर आसानी से खर्रा मिल जाता है। ये दुकानदार खुद खर्रा तैयार नहीं करते बल्कि इनके पास खर्रा सप्लाय करने वाले आते हैं। मांग के अनुसार उन्हें हर रोज खर्रे की आपूर्ति की जाती है। जैसे दुकानदारों को राेजमर्रा की सामग्री रखनी पड़ती है, वैसे ही उन्हें हर रोज खर्रा भी रखना पड़ रहा है। सप्लाय करने वालों के पास होलसेल में खरीदी करने वाले कुछ दुकानदार होते हैं। ये लोग हर रोज औसत 50 से 100 खर्रे खरीदते हैं। इन्हें होलसेल में 12 या 15 रुपए प्रति नग के हिसाब से खर्रा बेचा जाता है। बाद में दुकानदार यही खर्रा ग्राहकों को 20 या 25 रुपए प्रति नग के हिसाब से बेचता है। दूसरे किसी भी कंपनी के उत्पाद एमआरपी पर बेचने पर जितना प्रतिशत मुनाफा नहीं होता उससे कहीं अधिक मुनाफा खर्रे पर मिलता है। इस कारण दुकानदार खर्रा बेचने पर अधिक जोर लगा रहा है। सूत्रों के अनुसार शहर के आधे से अधिक किराना दुकानों और चाय की टपरियाें पर खर्रा आसानी से मिल जाता है।

नियमित कार्रवाई की जाती है
सरकार ने तंबाकू, गुटखा व तंबाकूजन्य पदार्थों की बिक्री पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है। इसके बावजूद कुछ लोग चाेरी-छिपे इसकी बिक्री करते हैं। विभाग को इसकी सूचना मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जाती है। विभाग ने पिछले सालभर में 100 से अधिक कार्रवाई की है। कुछ लोगों की खर्रा बनाने की मशीनें जब्त की गई है। कुछ लोगों पर दो या इससे अधिक बार कार्रवाई की है। दरअसल खर्रा खाने को नागपुरवासियों ने संस्कृति बना ली है। इस कारण इसे बनाकर बेचनेवाले बाज नहीं आ रहे। हमने शहर के बड़े पानठेले और खर्रा बेचनेवालों को सख्त हिदायत दी है कि वे इसे न बेचे। हमारी टीम नियमित रूप से शहर का मुआयना कर खर्रा बनानेवालों और बेचनेवालों की पड़ताल करती है। नियमों का उल्लंघन होते दिखनेपर मौके पर ही सामग्री जब्ती और जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।
(शशिकांत केकरे, सहायक आयुक्त अन्न व औषधि प्रशासन)

रोक लगाने के लिए सभी संसाधनों का हो उपयोग
तंबाकू से बननेवाले गुटखा और खर्रा दोनों ही शरीर के लिए हानिकारक है। इससे मुख कैंसर का प्रमाण बढ़ रहा है। सरकार के आदेशानुसार संबंधित विभागों ने सभी संसाधनों का उपयोग कर इसपर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए। नागपुर में मशीन से खर्रा बनाने के कारखाने चल रहे है। यहां से पानठेले पर सप्लाय होता है। कुछ बड़े लोग महंगी चीजों का शौक करते हैं, लेकिन खर्रा खानेवाले लोग आम होते हैं। वे सस्ती सामग्री के रुप में खर्रे को प्राथमिकता देते हैं। सबसे ज्यादा बीमारी भी उन्हें ही हो रही है। इसी तरह सड़ी सुपारी का केंद्र नागपुर बना है। यहां सालाना 1500 करोड़ का सड़ी सुपारी का कारोबार होता है। इसी से खर्रा भी बनता है।  सरकार की आेर से मंत्री गिरीश बापट ने इसका सज्ञान लेते हुए रोकथाम के लिए आश्वासन दिया गया है।
(गिरीश व्यास, विधानपरिषद सदस्य)

Created On :   21 May 2018 2:03 PM IST

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