महामारी खत्म होने के बाद भी कागजों में चल रही जांच चौकी

Even after the epidemic is over, the check post going on in the papers
महामारी खत्म होने के बाद भी कागजों में चल रही जांच चौकी
छिंदवाड़ा महामारी खत्म होने के बाद भी कागजों में चल रही जांच चौकी


डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। पशुओं पर होने वाली रिंडर पेस्ट नामक महामारी (पशुओं में होने वाला प्लेग) से निपटने के लिए बाॅर्डर पर मौजूद पशुमाता जांच चौकी केवल कागजों में चल रही है। महामारी को जड़ से पूरी तरह खत्म हुए बीस साल से ज्यादा का समय हो चुका है, इसके बावजूद विभाग द्वारा चौकी को संचालित किया जाना उल्लेखित है। बकायदा यहां पदस्थ कर्मचारियों को वेतन जारी हो रहा है और चौकी में कामकाज होना बताया जा रहा है। जबकि महामारी के खत्म होने के बाद ही इन चौकियों को बंद कर यहां पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों को विभागीय सेवाओं में सम्मिलित किए जाने के आदेश हो चुके थे, पर बाॅर्डर एरिया में पांढुर्ना क्षेत्र के बनगांव में मौजूद चौकी आज भी मौजूद है। चौकी के नाम पर यहां खानापूर्ति हो रही है, जबकि चौकी का अस्तित्व 23 साल पहले ही समाप्त हो चुका है।

1999 में ही विश्व से खत्म हो गई महामारीः पशुचिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि साल 1999 के पहले रिंडर पेस्ट नामक महामारी जुगाली करने वाले पशुओं के लिए घातक साबित हो रही थी। वल्र्ड हेल्थ आॅर्गनाईजेशन(डब्ल्यूएचओ) ने पशुओं में महामारी का पता लगाकर उपचार किया और टीके लगवाए। जिससे महामारी पर काबू पाया जा सका। साल 1999 के बाद से इस महामारी से जुड़ा एक भी मामला सामने नही आया है और पूरे विश्व से ही यह महामारी जड़ से खत्म होने की बात सामने आई। 23 साल पहले ही डब्ल्यूएचओ ने भी महामारी के पूरी तरह खत्म होने की पुष्टि कर दी है। इसके बावजूद महामारी के जांच के नाम पर पांढुर्ना क्षेत्र के ग्राम बनगांव में चौकी का संचालन होना समझ से परे है।

क्या थी रिंडर पेस्ट महामारीः वर्ष 1999 के पहले रिंडर पेस्ट महामारी का पशुओं पर घातक प्रभाव था। जुगाली करने वाले पशुओं में महामारी के प्रकोप से तेज बुखार, भूख न लगना, दूध उत्पादन में कमी, जीभ के नीचे व मसूड़ों पर छालें पड़ना जैसे प्रमुख लक्षण नजर आते थे। महामारी से पीड़ित पशु की आंखें लाल हो जाती थी और उससे गाढ़े-पीले रंग का कीचड़ बहने लगता था। खून मिले पतले दस्त होने की शिकायत बनी रहती थी। रिंडरपेस्ट एक प्रकार का विषाणु जनित(वायरस) रोग था। प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने के दौरान पहले पशुओं की जांच कर सैंपल लिए जाते थे। ताकि महामारी को फैलने से रोका जा सकें और टीकाकरण संभव हो जाए।

इनका कहनाः

-बनगांव में पशुमाता जांच चौकी मौजूद है। यहां एक सहायक पदस्थ है। जिसका जबलपुर कार्यालय से सीधा नियंत्रण है। इस विभाग के पशु चिकित्सा विभाग में विलय होने की जानकारी मिल रही है। फिलहाल महामारी से संबंधित कोई गतिविधी नही है।
-डाॅ.केएस पांडे,
खंड पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी पांढुर्ना

Created On :   7 July 2022 5:00 PM IST

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