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इंजीनियरिंग कर चुका था खूंखार नक्सली मिलिंद तेलतुंबडे, देता था हथियार चलाने की ट्रेनिंग, जवानों की गोलियों से ढेर
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। रविवार की सुबह पवनहंस हेलिकॉप्टर की मदद से ढ़ेर हुए नक्सलियों के शव जिला अस्पताल के मर्चुरी रूम में रखे गए। मुठभेड़ के दौरान घायल हुए सी-60 दल के 4 जवानों का इलाज नागपुर के ऑरेंज सिटी अस्पताल में शुरू है। जिनकी हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है। सी-60 कमांडो ने देश के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई कर खूंखार नक्सलियों का खात्मा किया है। शनिवार सुबह कोरची तहसील के मरदिनटोला जंगल में हुई मुठभेड़ में जवानों ने नक्सलियों के एमएमसी (महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़) प्रमुख और सेंट्रल कमेटी सदस्य 50 लाख के इनामी मिलिंद तेलतुंबडे को ढ़ेर कर दिया, साथ ही अन्य 25 नक्सलियों को मौत की नींंद सुलाने में जवान सफल हुए हैं। 26 नक्सलियों में 16 की शिनाख्त कर ली गई है। जिन पर कुल एक करोड़ 38 लाख रूपए का इनाम महाराष्ट्र सरकार ने रखा था। इनमें प्रमुख मिलिंद के साथ 2 डीवीसीएम और 2 दलम कमांडर शामिल हैं। मारे गए नक्सलियों में 20 पुरूष और 6 महिला नक्सली शामिल थे। बाकी 10 नक्सलियों की शिनाख्त पुलिस कर रही है। इस उपलब्धि पर राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील, पालकमंत्री एकनाथ शिंदे ने पुलिस विभाग समेत सी-60 जवानों की प्रशंसा की है।
कोरची तहसील के मरदिनटोला जंगल में शनिवार को नक्सली बड़ा शिविर चला रहे थे। जिसमें नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की योजना गढ़ रहे थे। गुप्त सूचना मिलते ही सर्चिंग ऑपरेशन तेज कर दिया गया। जवानों की हरकत का पता चलते ही नक्सलियों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में भी जवानों ने जोश दिखाया, मुठभेड़ करीब 10 घंटों तक निरंतर जारी रहीं। जिसके बाद पुलिस का दबाव बढ़ा और नक्सलियों ने भागना शुरु कर दिया। सर्चिंग के दौरान जवानों ने कुल 26 नक्सलियों के शव बरामद किए, साथ ही भारी संख्या में गोला बारूद जवानों के हाथ लगा।
बड़ी सफलता का राज है मिलिंद तेलतुंबडे, जिसका नाम नक्सली आंदोलन के बड़े नेताओं में शुमार है। नक्सली आंदोलन में उसे महाराष्ट्र प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। साथ ही महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) का वह प्रमुख भी था। इन तीनों राज्यों में उसने गुरिल्ला जोन भी विकसित किया था। साथ ही माओवादियों की सेंट्रल कमेटी में अहम सदस्य के रूप में भी शामिल था।
भीमा कोरेगांव हिंसा में प्रमुख मास्टरमाइंड का काम करने वाला मिलिंद यवतमाल जिले की वणी तहसील के राजुर का रहने वाला था। उसने इंजीनियरिंग की थी। वो दलम में भर्ती हुए युवाओं को हथियारों का प्रशिक्षण देने के साथ जमीनी स्तर पर घटनाओं को अंजाम देने में माहिर था।
वह एल्गार परिषद मामले में जेल ही हवा खा रहें डॉ. आनंद तेलतुंबड़े का भाई था। उच्च न्यायालय ने मिलिंद को फरार नक्सली भी घोषित किया था। मिलिंद की मौत के बाद अब एमएमसी क्षेत्र में नक्सली पूरी तरह बैकफूट पर जाने की उम्मीद व्यक्त की जा रहीं है।
परिजन को सौंपे जाएंगे शव
जिला पुलिस अधीक्षक अंकित गाेयल ने बताया अब तक कुल 16 नक्सलियों की शिनाख्त की जा चुकी है। शिनाख्त के लिए आत्मसमर्पित नक्सलियों की मदद ली जा रहीं है। जल्द ही शिनाख्त मुकम्मल होगी। नक्सलियों के शव उनके परिजन को सौंपे जाएंगे।
नक्सलियों की स्थानीय भर्ती हुई बंद
एसपी गोयल ने बताया कि नक्सलियों का जनाधार कम हो रहा है। नक्सल भर्ती पर अब पूरी तरह अंकुश लग चुका है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश राज्य के नक्सली गड़चिरोली जिले में प्रवेश कर रहें है।
Created On :   14 Nov 2021 7:09 PM IST