अंतिम पड़ाव पर अमृत योजना-2 का डीपीआर, शासन से हरी झंडी का इंतजार

DPR of Amrit Yojana-2 at the last stop, waiting for green signal from the government
अंतिम पड़ाव पर अमृत योजना-2 का डीपीआर, शासन से हरी झंडी का इंतजार
अकोला अंतिम पड़ाव पर अमृत योजना-2 का डीपीआर, शासन से हरी झंडी का इंतजार

डिजिटल डेस्क, अकोला. महानगरपालिका क्षेत्र में अमृत योजना 1 के तहत जलापूर्ति योजना व भूमिगत गटर योजना का काम किया गया, लेकिन सीमावृध्दि क्षेत्र में जलापूर्ति योजना का काम शेष है। वहीं भूमिगत गटर योजना का सिर्फ सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट ही तैयार हुआ। भूमिगत गटर का वास्तविक कार्य होना शेष है। इस पर गौर करते हुए अमृत योजना 2 का डीपीआर तैयार करने का ठेका मनपा ने एक एजेन्सी को दिया। जलापूर्ति योजना का डीपीआर तैयार किया गया है, जबकि भूमिगत गटर योजना का डीपीआर अंतिम पड़ाव पर है। दोनों डीपीआर लगभग 1700 करोड़ के बनेंगे, ऐसी जानकारी जलप्रदाय विभाग के कार्यकारी अभियंता हरिदास ताठे ने दी।

बता दें कि केंद्र सरकार पुरस्कृत अमृत योजना के तहत पहले चरण में अकोला मनपा क्षेत्र की मूल सीमा में पुरानी पाइप लाइन हटाकर नई पाइप लाइन बिछाने का काम किया गया। सात नए जलकुंभ निर्माण किए गए। अब शहर की मूल सीमा के कुछ परिसरों को समाविष्ट कर सीमावृध्दि क्षेत्र के 24 गांवों में जलापूर्ति पाइप लाइन का जाल बिछाया जाएगा। साथ ही नए जलकुंभों का निर्माण किया जाएगा। इस योजना पर भी करोड़ों का खर्च होगा। अमृत योजना 2 के तहत डीपीआर बनाने का काम एजेन्सी द्वारा किया जा रहा है, जिसमें जलापूर्ति योजना का 567 करोड़ का डीपीआर तैयार किया गया, जो मंजूरी के लिए महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के मुख्य अभियंता की ओर भेजा गया है। मजीप्रा की मंजूरी के बाद डीपीआर शासन की ओर भेजा जाएगा। इसी प्रकार भूमिगत गटर योजना का डीपीआर भी बन रहा है, जो लगभग 1100 करोड़ का रहेगा। अब तक सिर्फ दो सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया। भूमिगत गटर का काम अभी शेष है। इस बीच अमृत योजना 2 में शहर की मूल सीमा के साथ ही सीमावृध्दि क्षेत्र में भूमिगत गटर योजना व सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण का काम करने का नियोजन किया जा रहा है। डीपीआर बनानेवाले नागपुर की कंपनी ने सर्वेक्षण का काम लगभग पूरा कर लिया है। इस डीपीआर को भी मजीप्रा की ओर मंजूरी की लिए भेजा जाएगा।

वान प्रकल्प के पानी के बिना योजना असंभव

सन 2040 तक अकोला शहर के लिए लगनेवाले पेयजल पर गौर किया जाए तो 50 एमएमक्यू पानी की जरूरत सालभर में रहेगी। महान स्थित काटेपूर्णा बांध से इतना पानी पेयजल के लिए मिलना मुश्किल है। ऐसे में वान बांध से पानी आरक्षित किया गया था, लेकिन तेल्हारा में हो रहे विरोध के कारण आरक्षण स्थगित किया गया था। लेकिन अमृत योजना 2 के लिए वान प्रकल्प के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। उल्लेखनीय आगामी वर्षों की पानी की मांग पर गौर करते हुए दगड़पारवा बांध से भी पानी लेने पर विचार किया जा रहा है। 

Created On :   7 Oct 2022 7:40 PM IST

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