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स्क्रीनिंग टेस्ट पर शक, अस्पताल में किट नहीं, निजी लैब की जांच महंगी
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। पुणे स्थित स्वास्थ्य संचालक कार्यालय के फरमान से ग्रामवासियों की जेब पर चोट पहुंच रही है। फिलहाल डेंगू का प्रकोप चल रहा है, लेकिन जिले के प्राइमरी हेल्थ सेंटर (पीएचसी) में डेंगू जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। स्क्रीनिंग टेस्ट की वैलिडिटी कम होने का कारण बताकर सीरम सैंपल लेकर मेयो या मेडिकल अस्पताल में भेजे जा रहे हैं। मेयो या मेडिकल से रिपोर्ट आने में 4 दिन से ज्यादा का समय लगता है। मजबूरन ग्राम वासी निजी लैब में राशि खर्च करके टेस्ट करवा रहे हैं।
टेस्ट पर शंका : स्क्रीनिंग टेस्ट की रिपोर्ट पर विभाग ही शंका जता रहा है। स्क्रीनिंग टेस्ट की रिपोर्ट ज्यादातर पॉजिटिव आने से इसकी वैलिडिटी पर शंका उठाई जा रही है। रिपोर्ट को 100% सही मानने पर शंका जताई जा रही है।
आदेश के बाद जांच बंद
डॉ. दीपक सेलोकर, जिला स्वास्थ्य अधिकारी जिला परिषद के मुताबिक स्वास्थ्य संचालक कार्यालय के आदेश के बाद पीएचसी में स्क्रीनिंग टेस्ट बंद कर दी गई है। स्क्रीनिंग टेस्ट की रिपोर्ट 100% कंफर्म है, ऐसा दावा नहीं किया जा सकता। 100% कंफरमेशन के लिए रोगियों के सीरम सैंपल लेकर मेयो या मेडिकल में एलाइजा टेस्ट के लिए भेजे जा रहे है। रिपोर्ट आने में 4 दिन लगते हैं। पीएचसी मेंं डेंगू टेस्ट की किट नहीं रहती, इसलिए जांच पीएचसी में नहीं होती।
डेढ़ हजार तक ले रहे निजी लैब
जिलाधीश ने जिले में ज्यादा से ज्यादा डेंगू टेस्ट करने के आदेश दिए हैं। ग्रामीण में डेंगू के रोगी मिल रहे हैं। डेंगू टेस्ट का शुल्क काफी ज्यादा होता है, जो ग्रामवासियों पर किसी चोट से कम नहीं है। जिले में किसी भी पीएचसी में डेंगू टेस्ट की किट नहीं है। मजबूरन रोगी निजी लैब में जाकर टेस्ट करा रहे हैं। निजी लैब इसके लिए डेढ़ हजार रुपए तक ले रहे हैं। पीएचसी में केवल सीरम सैंपल लिया जा रहा है। इसे जांच के लिए मेयो या मेडिकल अस्पताल में भेजा जाता है। 4 दिन बाद यहां से रिपोर्ट संबंधित पीएचसी को जाती है। शासकीय अवकाश होने पर आैर अधिक समय लगता है। रिपोर्ट में इतनी देरी रोगी पर भारी पड़ सकती है।
प्लेटलेट्स कम मरीज की मौत
मेडिकल में प्लेटलेट्स के अभाव में 30 वर्षीय महिला की मौत हो गई। 10 दिन पहले महिला को ठंड लगकर बुखार आया था। स्थानीय डॉक्टर ने दवा देकर घर भेज दिया। रविवार को अचानक महिला को खून की उल्टियां होने लगी। उसे तत्काल मेडिकल में भर्ती किया गया। डॉक्टर ने डेंगू की जांच करने को कहा। मेडिकल में सुविधा नहीं मिली, तो निजी लैब में जांच करवानी पड़ी। रात 1 बजे रिपोर्ट मिली। खून में प्लेटलेट्स कम थे। उस समय मेडिकल में प्लेटलेट्स उपलब्ध नहीं होने के कारण भागदौड़ की गई, लेकिन महिला को नहीं बचाया जा सका।
Created On :   14 Sept 2021 4:28 PM IST