आरटीओ पैनल में शामिल डॉक्टर वसूल रहे हैं मनमाना शुल्क

Doctors included in RTO panel are charging arbitrary fee
आरटीओ पैनल में शामिल डॉक्टर वसूल रहे हैं मनमाना शुल्क
नागपुर आरटीओ पैनल में शामिल डॉक्टर वसूल रहे हैं मनमाना शुल्क

डिजिटल डेस्क, नागपुर, प्रादेशिक परिवहन विभाग द्वारा चिकित्सा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए पैनल में करीब 15 चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। नियमानुसार एमबीबीएस डॉक्टरों को ही चिकित्सा प्रमाणपत्र देने की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि अनधिकृत रूप से कुछ आयुर्वेदाचार्य व नेचुरोपैथी के चिकित्सक भी प्रमाणपत्र देने का काम कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात है कि आरटीओ की पैनल में शामिल चिकित्सकों द्वारा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है। कोई चिकित्सक 100 रुपए तो कोई 500 रुपए तक वसूल रहा है। 

आवेदक हो रहे लूट का शिकार

अधिकारियों के मुताबिक चिकित्सा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए शुल्क का निर्धारण नहीं किया गया है, जिसकी वजह से आवेदक लूट-खसोट के शिकार हो रहे हैं। आरटीओ कार्यालय परिसर में कुछ ऐसे चिकित्सकों के सक्रीय होने की भी जानकारी मिली है, जिन्हे पैनल में शामिल नहीं किया गया है। यह चिकित्सक मात्र 50 रुपए शुल्क लेकर प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं।

जरूरी है प्रमाणपत्र  वाहन चलाते वक्त चालक की शारीरिक कमजोरी सड़क दुर्घटना का कारण न बने, इसलिए ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण करने के लिए आवेदन करने वालों को मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करना होता है। इसके अलावा 40 वर्ष से अधिक आयु के वह आवेदक, जिन्होंने लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, उन्हें भी प्रमाणपत्र पेश करना होता है। प्रमाणपत्र देने के लिए प्रादेशिक परिवहन विभाग द्वारा डॉ. कमल छाबरानी, डॉ. नूपुर नेवस्कर, डॉ. शेषराव अष्टनकर व डॉ. अर्चना वारनदेशकर को पैनल में शामिल किया गया है। प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (पूर्व) में डॉ. उल्हास मेश्राम, डॉ. कुशल सुगंध, डॉ. कमल छाबरानी व डॉ. रिचा छाबरानी को नियुक्त किया गया है। 

फिटनेस जांच पर संदेह : सूत्रों के मुताबिक चिकित्सा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए मापदंडों के अनुपालन को लेकर संदेह बना हुआ है। पैनल में शामिल कुछ चिकित्सक बिना जांच किए सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। रोजाना 100-150 लोग इन चिकित्सकों के पास प्रमाणपत्र के लिए पहुंचते हैं। केवल नाम पूछकर प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाता है। इस तरह चिकित्सा प्रमाणपत्र महज खानापूर्ति व चिकित्सकों के लिए कमाई का जरिया बनकर रह गया है। 

नियमों का हो रहा उल्लंघन

अधिकारियों से सांठगांठ कर कुछ वैद्य व चिकित्सकों द्वारा आरटीओ परिसर में पैठ बना ली गई है। यह तथाकथित एमबीबीएस चिकित्सक बगैर जांच किए चिकित्सा प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। इससे नियमों का उल्लंघन हो रहा है।

- डॉ.कमल छाबरानी
शुल्क तय नहीं है

प्रादेशिक परिवहन कार्यालय की पैनल में शामिल चिकित्सकों का शुल्क निर्धारित नहीं किया गया है। चिकित्सक अपना मेहनताना स्वयं तय करते हैं। इन्हें एक आईडी कोड जारी किया गया है, जिसका ऑनलाइन उपयोग कर आवेदक के नाम से चिकित्सा प्रमाणपत्र अपलोड किया जाता है। पैनल से अलग चिकित्सकों द्वारा आईडी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। हालांकि कोई भी एमबीबीएस चिकित्सक प्रमाणपत्र जारी कर सकता है।

-हर्षल डाके, एआरटीओ, नागपुर

Created On :   21 Jun 2022 3:58 PM IST

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