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आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना, सरकार का यह निर्णय प्रमाणित इतिहास को पलटने जैसा- दिग्विजय सिंह
डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । नर्मदा परिक्रमा कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आद्य शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना का निर्णय लेने के पूर्व मान्य पीठों के शंकराचार्य से चर्चा न किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। श्री सिंह सोमवार को सांकलघाट में पत्रकारों से मिले यहां उन्होंने अपनी यात्रा के अनुसार सांझा करते हुए नर्मदा परिक्रमा को पूर्णत: निजी धार्मिक यात्रा बताते हुए इसका राजनैतिक अर्थ न निकालने को कहा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आद्य शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना पर किसी को आपत्ति नहीं है। दुख इस बात का है कि प्रदेश शासन ने लोगों की भावना से जुड़े इस मसले पर निर्णय लेने के पूर्व देश भर के मान्य शंकराचार्य विशेषकर द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज से चर्चा तक नहीं की। सरकार का यह निर्णय प्रमाणित इतिहास को पलटने जैसा है। उन्होंने कहा कि सांकल का गोविंदनाथ वन में स्थित गुफा आदि शंकराचार्य की न केवल दीक्षा स्थली वरन तपस्थली भी है। श्री सिंह ने एनटीपीसी मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रभावित लोगों को नौकरी मिलनी चाहिए। इस बाबत हो रहे धरना प्रदर्शन में यशवंत सिन्हा, शत्रुध्न सिन्हा की मौजूदगी पर उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को यदि कोई उठाता है तो यह अच्छी बात है मैं इसका समर्थन करता हूं।
दिग्विजय सिंह ने अपनी नर्मदा परिक्रमा के अनुभव बांटते हुए कहा कि मां रेवा अप्रियतम सौन्दर्य आत्मिक शांति तथा अवैध उत्खनन पर चिंता जताई। अपनी यात्रा के आशय का उल्लेख करते हुए कहा कि सैकड़ों लोग नर्मदा परिक्रमा करते है मैं भी उनमें शामिल हूं। यह निर्णय मैं एवं मेरी पत्नी द्वारा धार्मिक आस्था के कारण लिया गया। इसका न तो कोई राजनैतिक मतलब है और न हीं कोई निहार्थ। इस मौके पर पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा, पूर्व ऊर्जा मंत्री एनपी प्रजापति, पूर्व विधायक सुनील जायसवाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष देवेंन्द्र पटैल, कल्याणी पांडे, देवेन्द्र पटैल झंडी वाले मौजूद रहे।
Created On :   6 Feb 2018 2:03 PM IST