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देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड: दमोह एसपी को सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के निर्देश
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट ने दमोह एसपी को निर्देशित किया है कि देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड के घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करें। इसके लिए याचिकाकर्ता को एक सप्ताह में एसपी के समक्ष नए सिरे से आवेदन पेश करना होगा। इस निर्देश के साथ जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया है।
यह कहा दायर याचिका में
दमोह जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि दमोह में 15 मार्च 2019 को देवेन्द्र चौरसिया की हत्या हो गई थी। इस मामले में बसपा विधायक रामबाई के पति और अन्य लोगों के साथ याचिकाकर्ता के पुत्र इंद्रपाल सिंह पटेल को भी आरोपी बना दिया गया। याचिकाकर्ता ने एसपी, आईजी और डीजीपी को पत्र लिखकर कहा कि उनके पुत्र को राजनैतिक दुर्भावना के तहत हत्या के मामले में झूठा फंसाया जा रहा है। घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाए। पुलिस ने घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच नहीं की। अधिवक्ता मनीष सोनी ने तर्क दिया कि घटनास्थल पर सीसीटीवी लगे हुए थे। सीसीटीवी फुटेज की जांच से स्पष्ट हो जाएगा कि याचिकाकर्ता का पुत्र घटना में शामिल था या नहीं। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने दमोह एसपी को घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के निर्देश दिए है।
ट्रांसपोर्ट नगर जमीन घोटाले में मुख्य आरोपी की अग्रिम जमानत खारिज
हाईकोर्ट ने ट्रांसपोर्ट नगर जमीन घोटाले के मुख्य आरोपी जीवन लाल रजक की अग्रिम जमानत खारिज कर दी है। जस्टिस मोहम्मद फहीम अनवर की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रकरण के तथ्य को देखते हुए अग्रिम जमानत देना उचित नहीं है। अभियोजन के अनुसार जीवन लाल रजक ने वर्ष 2010 में राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर ट्रांसपोर्ट नगर की 20 हजार वर्गफीट जमीन अपने पिता सुंदरलाल रजक के नाम दर्ज करा ली थी। सुंदरलाल रजक की मृत्यु के बाद जमीन उनकी संतान जीवन लाल , सुनीता, सविता,सरिता , गीता,अनीता , वीरेन्द्र , गोविन्द और गोपाल के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई। इसके बाद जमीन को दीपेश जैन, संतोश अग्रवाल और सुधा जैन को जमीन बेच दी गई। राजेश अग्रवाल बबलू की शिकायत पर जब जांच की गई तो पाया गया कि वर्ष 1947 से लेकर 2010 तक जमीन सुंदरलाल रजक के नाम पर नहीं थी। वर्ष 2014 में गोहलपुर पुलिस ने जीवन लाल एवं अन्य के खिलाफ धारा 188, 447, 420, 467, 468, 471, 120 बी एवं 34 का प्रकरण दर्ज किया गया। आवेदक की ओर से तर्क दिया गया कि मामला सिविल नेचर का है। इसलिए उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाए। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने अग्रिम जमानत खारिज कर दी है।
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Created On :   19 May 2019 4:35 PM IST