कचरा कलेक्शन में मलबा-मिट्टी का चल रहा खेल

Debris-earthen game in garbage collection
कचरा कलेक्शन में मलबा-मिट्टी का चल रहा खेल
गाडिय़ां घटती गईं, वजन बढ़ता गया कचरा कलेक्शन में मलबा-मिट्टी का चल रहा खेल

डिजिटल डेस्क,कटनी। शहर में स्वच्छता में नंबर-1 बनाने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का कार्य सात साल पहले शुरू किया गया था। इन सात सालों में शहर नंबर वन तो बन नहीं पाया वरन कचरा कलेक्शन का कार्य करने वाली कंपनी जरूर मालामाल हो गई। कचरा कलेक्शन में लगी 45 में से 10 गाडिय़ां कबाड़ हो गईं लेकिन इन सात सालों में वजन लगभग डेढ़ गुना बढ़ गया। कचरा का वजन बढ़ाने एमएसडब्ल्यू प्रा.लि.के कर्ताधर्ता मलबा-मिट्टी भर रहे हैं और जिम्मेदारों ने मुंह फेर रखा है। क्योंकि नगर निगम में कचरा कलेक्शन की मॉनीटरिंग ही बंद है। इन दिनों प्लांट में 80 से 90 मीट्रिक टन कचरा की हर दिन तौल हो रही है। जबकि डीपीआर के अनुसार इस समय आबादी के अनुपात में अधिकतम 70 टन निकलने के अनुमान लगाया गया है। शहर के 20 फीसदी घरों में अभी भी कचरा वाहनों की पहुंच नहीं है। नगर निगम ने एमएसडब्ल्यू प्रबंधन पर वाहनों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया नहीं बल्कि एजेंसी के दबाव में कचरा भुगतान की दर 1690 रुपये से बढ़ाकर 2200 रुपये कर दी। एमएसडब्ल्यू प्रा.लि. हर माह कचरा कलेक्शन के लिए 50 से 60 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है। इसके बाद भी शहर स्वच्छता सर्वेक्षण में 24 वें नम्बर से 47 वें नम्बर पर खिसक गया।

फैक्ट फाइल

कुल वार्ड   45
कचरा गाड़ी  40
ब्रेक डाउन   10
कचरा की मात्रा 80 से 90 टन प्रतिदिन
हर माह भुगतान 55 से 60 लाख रुपये

स्वच्छता सर्वेक्षण  की स्थिति

वर्ष          रैंक
वर्ष 2018     111   
वर्ष 2019     97
वर्ष 2020     24
वर्ष 2021     47

मकानों, नालियों के मलबा से मालामाल हो रहे जिम्मेदार मकानों, नालियों का मलबा एमएसडब्ल्यू प्रा.लि. को तो मालामाल कर रहा है और नगर निगम के खजाने को अच्छी-खासी चपत लगाई जा रही है। एग्रीमेंट के अनुसार एमएसडब्ल्यू प्रा.लि. की गाडिय़ों में केवल घरों, दुकानों से निकलने वाला कचरा ही ढोया जाना चाहिए। नालियों का मलबा नगर निगम के ट्रैक्टरों से ले जाने का नियम है। घरों से निकलने वाला मलबा तो पूरी तरह प्रतिबंधित है। वजन बढ़ाने नालियों, घरों का मलबा ही नहीं वरन ग्रामीण क्षेत्रों से मिट्टी-मुरूम भरी जा रही है। यही कारण है कि एमएसडब्ल्यू के प्लांट में खाद से ज्यादा मलबा का पहाड़ खड़ा हो गया है। व्हीकल ट्रिप सीट की नहीं होती जांच, फिर से पुराना ढर्रा प्रायमरी कलेक्शन सेंटर, सेकेंड्री कलेक्शन सेंटर और कचरा प्लांट की प्रतिदिन व्हीकल ट्रिप सीट बनाई जाना चाहिए। नवम्बर 2015 से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का कार्य शुरू किया गया था लेकिन अब तक कभी व्हीकल ट्रिप सीट कम्पलीट नहीं हुई। सूत्रों का कहना है कि सेकेंड्री कलेक्शन सेंटर में फर्जी व्हीकल ट्रिप सीट बनाई जा रही है। पूर्व में तत्कालीन उपायुक्त असफाक परवेज ने व्हीकल ट्रिप सीट के लिए नोटिस जारी किए थे। व्हीकल ट्रिप सीट नहीं देने पर कटौती करना शुरू कर दिया गया था। उपायुक्त का स्थानांतरण होते ही नगर निगम में फिर पुराना ढर्रा शुरू हो गया। 4 बजे के बाद नो एंट्री, रात तक पहुंच रहे वाहन नियमानुसार एमएसडब्ल्यू के प्लांट में शाम चार बजे तक ही कचरा वाहनों की एंट्री होना चाहिए लेकिन वहां रात 8 बजे तक वाहनों से कचरा पहुंचाया जा रहा है। डीपीआर के अनुसार केवल काम्पेक्टर से कचरा भेजने का नियम है पर डम्पर और लोडर से भी प्लांट में कचरा पहुंच रहा है। कचरा की तौल के समय नगर निगम के कर्मचारी को उपस्थित रहना चाहिए पर वे भी गायब रहते हैं।

संजय सोनी, (स्वास्थ्य अधिकरी ननि) इनका कहना है कि कचरा के साथ नालियों का मलबा एवं मिट्टी-मुरुम मिलाए जाने का मामला आपके माध्यम से संज्ञान में आया है। यह गंभीर मामला है, इसकी जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। फिलहाल अभी मैं मीटिंग में हूं।
 
 

Created On :   14 Jun 2022 3:56 PM IST

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