महाराष्ट्र में सबसे अधिक बाघों की मौत,तीन सालों में पूरी नहीं हो पाई मौत की जांच

Death of most tigers in Maharashtra, investigation not completed in 3 year
महाराष्ट्र में सबसे अधिक बाघों की मौत,तीन सालों में पूरी नहीं हो पाई मौत की जांच
महाराष्ट्र में सबसे अधिक बाघों की मौत,तीन सालों में पूरी नहीं हो पाई मौत की जांच

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले तीन वर्ष से देश भर में 87 बाघों की मौत का मामला लंबित है। यानी उनकी मौत के कारणों की जांच तीन साल बीत जाने के बाद भी पूरी नहीं हुई है। इनमें सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र के हैं। राज्य में कुल 21 बाघों के मौत का कारण तीन साल बाद भी सामने नहीं आया है। एनटीसीए के अनुसार महाराष्ट्र में नवंबर 2016 से दिसंबर 2018 तक हुए 21 बाघों की मौत की अंतिम रिपोर्ट अब तक नहीं भेजी गई है। इनमें से आठ पेंच टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट महाराष्ट्र, आठ चंद्रपुर जिले में (इनमें चार एफडीसीएम क्षेत्र में), जलगांव में दो, अमरावती जिले के मेलघाट टाइगर रिजर्व में दो और एक पुणे का मामला है। 

अंतिम रिपोर्ट भेजने की समय सीमा 20 जून
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथाॅरिटी (एनटीसीए) की ओर से सभी राज्यों को बाघों की मौत से संबंधित फाइनल रिपोर्ट जमा करने की ताकीद की जा चुकी है। इसके लिए अंतिम समय सीमा 20 जून तय किया गया है। तय समयसीमा में रिपोर्ट जमा नहीं किए जाने पर लंबित मामलों को अप्राकृतिक मौत में दर्ज किए जाने की चेतावनी भी दी जा चुकी है। एनटीसीए की गाइड लाइन के अनुसार बाघों की मौत के मामले प्राकृतिक रूप से मौत के पर्याप्त सबूत नहीं मिलने पर उन्हें शिकार या अप्राकृतिक मौत का मामला माना जाता है।

विशेष जांच के कारण अंतिम रिपोर्ट में देरी
पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत की जांच के लंबित मामलों में संबंधित सूत्रों का कहना है कि अधिकमर मामलों में पोस्टमार्टम में मौत का कारण सामने आ जाता है, लेकिन मामला तब तक क्लोज नहीं होता है जब तक फाइनल रिपोर्ट समिट नहीं होती है। कई मामलों में फाॅरेंसिक व डीएनए जांच के नमूने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मोलक्यूलर बायोलॉजी जैसे संस्थानों में भेजे जाते हैं। इसमें आमतौर पर चार से पांच माह तक का समय लग जाता है। कई बार संस्थाओं के परस्पर विरोधी रिपोर्ट के कारण भी मामले लंबित हो जाते हैं। 

विभाग का ध्यान नहीं
वन्यजीव विशेषज्ञ लंबित मामलों की संख्या पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि बाघ की मौत के बाद इन मामलों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है। मामलों में छोटी-छोटी बातों के लिए केस कई माह अटका रहता है। 

अन्य राज्यों में लंबित मामले
राज्य               मामले
उत्तराखंड    -    18
मध्यप्रदेश    -    16
तमिलनाडु    -    9
कर्नाटक    -    7
राजस्थान    -    7
उत्तरप्रदेश    -    5
केरल    -    2
आेडिशा    -    2
 

Created On :   8 Jun 2019 5:48 PM IST

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