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आंगनबाड़ी सहायिका की मौत पर कार्यकर्ताओं ने अर्थी को दिया कंधा ,सभी की नम हुई आंखें
डिजिटल डेस्क,कटनी। यहां एक आंगन बाड़ी कार्यकर्ता की असामयिक मौत पर मानवीय संवेदनाओं का ऐंसा उदाहरण सामने आया है जो कि आज के युग में अति दुर्लभ है । महिलाओं की इस कर्तव्यनिष्ठा ने न केवल एक परिवार को संबल दिया बल्कि दूसरों के लिए भी अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है । साथी की मौत पर नम आंखों के साथ अंतिम विदाई के दृश्य को जिसने देखा उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। गरीबी परिस्थिति में गुजर बसर करने वाले आंगनवाड़ी सहायिका की आकस्मिक मौत के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर न सिर्फ पीडि़त परिवार की सहायता की बल्कि सहायिका के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई देने मुक्तिधाम तक का सफर साथ में तय किया। खास बात यह थी कि नाम आंखों के साथ कार्यकर्ताओं ने सहायिका की अर्थी को कंधा भी दिया।
साथी के प्रति निभाया अंतिम फर्ज
गुरुवार को जब सहायिका के आकस्मिक निधन हो जाने की जानकारी सहयोगी कार्यकर्ताओं को मिली तो वे उसके घर पहुंच गईं और सबने मिलकर अंतिम संस्कार की क्रिया में होने वाले खर्च को मिल जुलकर पूरा किया व अपने सहयोगी को कंधा देकर अश्रुपूर्ण विदाई दी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने दिवंगत की अर्थी को कंधा देकर अपने साथी के प्रति अविस्मरणीय अंतिम फर्ज को निभाया।
परिवार का सहारा थी प्रेमा
मानवीय संवेदना का यह उदाहरण गुरुवार को जिले की विजयराघवगढ़ तहसील में देखने को मिला जब महिलाओं ने अपनी साथी की असमय मृत्यु पर वो कर दिखाया जो अब से पहले कभी नहीं देखा गया। विजयराघवगढ़ विकास खंड के ग्राम पंचायत अमेहटा की आंगनबाड़ी क्रमांक 3 की सहायिका प्रेमा कोल की अचानक बुधवार की रात हृदय गति रुक जाने से मृत्यु हो गई थी। सहायिका के घर की आर्थिक स्थिति भी बेहद कमजोर है। उसके पति बाबू लाल कोल कई साल से बीमार हैं। एक बेटा दस वर्ष व बेटी पंद्रह वर्ष की है जिनके पालन पोषण के साथ-साथ पति की दवाई की जिम्मेदारी प्रेमा बाई के कंधों पर ही थी।
Created On :   23 Aug 2019 2:39 PM IST