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दमोह का भाजपा से मोह भंग..., कांग्रेस की जय, 17089 मतों से जीते टंडन
डिजिटल डेस्क दमोह। दमोह विधानसभा पर हुए उपचुनाव का परिणाम रविवार की देर रात मतगणना संपन्न होते ही आ गया है। जिसमें कांग्रेस के अजय टंडन को जनता से विजय दिलाई है तो भाजपा के राहुल सिंह को सबक सिखाया है। दोनों ही नेताओं ने जीत-हार के बाद जनता के फैसले को स्वीकार किया है। साथ ही जनसेवा के कार्यों में लगे रहने की बात की है।
इसके पहले पॉलीटेक्निक कॉलेज परिसर में बनाए गए मतगणना स्थल पर सुबह 6 बजे से प्रशासनिक अमला सक्रिय हो गया था। 8 बजे तक अभ्यर्थी, अभिकर्ता और मीडियाकर्मियों सहित सभी की मतगणना स्थल पर आमद हो चुकी थी। 8.30 बजे पोस्टल मतों की गिनती शुरू की गई। जिसमें भी कांग्रेस प्रत्याशी को 34 मत अधिक मिले। इसके बाद सावधानी के बीच शुरू हुई काउंटिंग धीरे-धीरे चली। दोपहर 2 बजे तक महज 6 राउंड ही हो सके। जिनमें कांग्रेस ने करीब 27सौ की बढ़त बनाई। इस बीच पांचवें राउंड में थोड़ी बढ़त बीजेपी को भी मिली, लेकिन वह इसे लीड में नहीं बदल सके। इसके बाद शहर के मतों की गिनती शुरू हुई, जो 16 वें राउंड तक शाम साढ़े 6.15 तक चलती रही। जिसमें से एक भी राउंड में राहुल को बढ़त नहीं मिली। जबकि हर राउंड में 1 हजार से 2 हजार तक से वह पीछे रहे। इस तरह शहर के मतों की गिनती समाप्त होने तक कांग्रेस करीब 19 हजार मतों से लीड बना चुकी थी। 17वें राउंड से 26वें राउंड तक गांव की काउंटिंग हुई, जिसमें भी राहुल सिंह कांग्रेस की लीड को कम नहीं कर पाए और चुनाव हार गए। विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी से 17089 मतों से जीते हैं।
राहुल सिंह ने चुनाव हारने के बाद दमोह की जनता के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही आगामी समय में और मेहनत के साथ मैदान में आने की बात कही है। कारणों की समीक्षा पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर करने कहा है। जबकि विजयी अजय टंडन ने कहा कि यह जीत दमोह की जनता की है। कमलनाथ की है। जनता ने चुनाव लड़ा और जीता है। सभी का आभार व्यक्त करता हूं। दमोह के विकास के लिए जो बनेगा करूंगा। जनता का कांग्रेस के ऊपर विश्वास जागृत हुआ है।
कोविड सुरक्षा का रखा गया ख्याल-
मतगणना के दौरान कोविड की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया। इस दौरान लोगों को एंट्री से पहले पूरी तरह सैनिटाइज किया गया। साथ ही मास्क आदि भी वितरित किए गए। इस दौरान कुछ लोग पीपीई किट में भी नजर आए। इसके अलावा ड्यूटी में लगे अधिकारी, कर्मचारी भी पूरी तरह मॉस्क और ग्लब्ज के साथ बार-बार सैनिटाइज होते नजर आए। इस तरह कोविड संक्रमण से बचने का प्रयास किया गया। इस दौरान भोजन व्यवस्था के दौरान भी काफी सुरक्षा देखने मिली।
राहुल को शहर से मिली 17089 मतों से हारे
दमोह विधानसभा में कुल 59.5 मतदान हुआ था। जिसमें से 53 प्रतिशत मतदान ही शहर से हुआ था। जबकि 64 प्रतिशत तक मतदान गांव से हुआ था। ऐसे में शहर से करीब 50 हजार मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। शहर से कम और गांव से अधिक वोटिंग के कारण राहुल की जीत के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन परिणाम के दिन स्थिति कुछ और ही नजर आई। राहुल को जहां शुरुआती 6 राउंड में ग्रामीण क्षेत्रों से मात खाना पड़ी, वहीं शहर में तो उन्हें तनिक भी राहत नहीं मिली। शुरुआती गांव के 67 मतदान केंद्रों से उन्हें 2684 मतों से हार मिली। जबकि शहर के 68 से 180 नंबर मतदान केंद्र तक उन्हें करीब 15 हजार मतों से हार मिली। इसके बाद 17वें राउंड में भी उन्हें ग्रामीण क्षेत्र से हार मिली। इसके बाद बढ़ी 18 हजार की लीड वह कवर नहीं कर सके। जिस तरह से कांग्रेस के पक्ष में दमोह की जनता ने मतदान किया, उससे स्पष्ट रहा कि विरोध को भाजपा भंजा नहीं सकी। कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन ने 26वें राउंउ में अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी से 17089 मतों से उपचुनाव जीत लिया।
बढ़ती लीड के बीच साफ नजर आई मायूसी
सुबह से रिफ्रेश मूड और जीत की आशा लेकर पहुंचे भाजपा प्रत्याशी को इतनी गंभीर स्थिति का अंदाजा नहीं था। शुरुआत से ही कांग्रेस को लीड मिलने के बाद यह कारवा जब थमतां नजर नहीं आया तो राहुल सिंह के चेहरे पर मायूसी साफ देखने मिली। 10 राउंड के बाद स्थिति बिगड़ती देख वह अपने साथियों के साथ बैठकर त्वरित समीक्षा करते नजर आए। इस दौरान मायूसी उनके चेहरे से झलकती नजर आई। इस दौरान उन्होंने मीडिया से भी चर्चा नहीं थी। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन इस दौरान नतीजों में मिल रही लीड को एन्ज्वॉय करते नजर आए। उन्होंने इस दौरान जीत का दावा तो नहीं किया, लेकिन और अधिक लीड बढऩे की बात जरूर कही। उन्होंने परिणाम का अंतिम तक इंजतार करने कहा।
टंडन ने जीता वार्ड, जयंत मलैया के वार्ड से हारे
चुनाव के दौरान राहुल ने टंडन पर आरोप लगाया था कि वह आज तक अपनी पोलिंग नहीं जीत पाए। परिणाम के दिन जैसे ही अजय टंडन ने अपनी पोलिंग जीती, वह ताव देते नजर आए। इस दौरान थोड़ा हल्ला भी हुआ। टंडन का वार्ड कांग्रेस ने जीता। इसके अलावा भाजपा के स्टार प्रचार जयंत मलैया, नपाध्यक्ष मालती असाटी के अलावा सभी स्थानीय भाजपा नेता अपने-अपने वार्डों में भाजपा को जीत नहीं दिला पाए। युवा मोर्चा अध्यक्ष के वार्ड में जरूर बीजेपी को जीत मिली। जबकि भाजपा पार्षद वाले वार्डों में कांग्रेस ही जीता।
अंदर काउंटिंग, बाहर आंकड़ों का इंतजार
सुबह 8.30 बजे से काउंटिंग शुरू होते ही लोगों को काउंटिंग के इंतजार में मैसेज आना शुरू हो गए। दिन भर लोग अंदर से आने वाले परिणामों पर नजर बनाए रखे। साथ ही अपनी प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर प्रेषित करते नजर आए। इस दौरान प्रत्याशियों पर लोगों ने जमकर कटाक्ष भी किए। शाम 7 बजे तक जब कांग्रेस आगे चलती रही तो कांग्रेसी व कांग्रेस को वोट करने वाले लिखते रहे। इसके बाद धीरे-धीरे लीड कम होती नजर आते ही भाजपा नेता कांमेंट करते नजर आए। इस तरह पूरे दिन भी घरों में, टीवी, मोबाइल और सोशल मीडिया पर चुनाव परिणाम ही छाया रहा।
पोस्टल में कांग्रेस की जीत
पोस्टल मतों की गणना में भी कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई है। कुल 550 पोस्टल मत डाले गए थे। जिसमें ने कांग्रेस को 215, भाजपा को 182 अन्य व नोटा को 39 मत मिले। जबकि 114 मत विभिन्न कारणों से रिजेक्ट कर दिए गए। इस तरह 33 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार ने इसमें भी बढ़त हासिल की।
ेहार के यह रहे प्रमुख कारण
- कांग्रेस से दमोह जीतने के 15 महीने बाद ही राहुल सिंह का बीजेपी का दामन थाम लेना। जबकि दमोह के लोगों ने जयंत मलैया जैसे कद्दावर नेता को हराकर राहुल को दमोह कमान सौंपी थी।
- विधायकी छोडऩे के बाद महीनों तक गायब रहना और कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलते ही दमोह पहुंचने पर सड़क पर विरोध होना।
- भाजपा में जाने के बाद दमोह में राहुल अपनी जगह कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के बीच नहीं बना पाए।
- मलैया परिवार के शुरुआती विरोध और टिकट की दावेदारी से उनके समर्थकों का भी विरोध में हो जाना। हालांकि, मलैया चुनाव प्रचार करते रहे।
- भाजपा का जाति के आधार पर टिकट देना, जिससे दमोह में अन्य जाति के लोग विरोध में आ गए।
- बिकाऊ का टैग लगा रहना। जिसका बेबाकी से जवाब वह जनता के बीच नहीं रख पाए।
- जनता के बीच अधिक संपर्क नहीं होना। इसके अलावा विधायक रहते हुए दमोह में कुछ खास काम नहीं दिखा पाना।
- कोविड संक्रमण के दौर में गायब रहना।
- जिला अस्तपाल में पर्याप्त व्यवस्थाएं न करा पाना और मेडिकल कॉलेज के लिए विधायकी छोडऩे की बात करना।
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अजय की जीत के यह रहे कारण
- भाजपा प्रत्याशी का व्यक्तिगत अधिक विरोध होना।
- जाति संख्या आधार पर कांग्रेस का टिकट न देना।
- जनता के बीच अच्छा संपर्क, पुराने कार्यकर्ताओं को एकत्रित कर लेना।
- राहुल के कांग्रेस में जाने के बाद भी कांग्रेस को साधकर रखना, मनु मिश्रा को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलना।
- भाजपा में गुटबाजी और फूट।
- श्यामनगर में पुलिस की मदद से मंत्री की इनोवा को भगाया जाना और कांग्रेसियों पर मुकदमा दर्ज करना।
- कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों की जीतोड़ मेहनत।
- बार-बार पिता के बचे दो साल जनता के सामने झोली फैलाकर मांगना और तन्खां जनता की सेवा में लगाने की बात करना।
Created On :   2 May 2021 10:48 PM IST