सीटी स्केन एवं ब्लड कार्डीनेटर जांच नही होने से भटक रहें मरीज

CT scans and block co-ordinators are deviating from the investigation
 सीटी स्केन एवं ब्लड कार्डीनेटर जांच नही होने से भटक रहें मरीज
 सीटी स्केन एवं ब्लड कार्डीनेटर जांच नही होने से भटक रहें मरीज

निजी अस्पतालों मेंं चल रही मानमानी, बगैर फीस जमा करने शुरू नही करते उपचार 
डिजिटल डेस्क बालाघाट।
 कोरोना संक्रमण के मौजूदा इस दौर में रोगियों की जान पर बन आई हैं। यहां के सरकारी अस्पताल में सीटी स्केन एवं ब्लड कार्डीनेटर की जांच नही होने के चलते रोगियों को हर मोड़ पर मानिसक एवं आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा हैं। आलम यह है कि यहां के निजी अस्पताल कोरोना संक्रमण की आड़ में जमकर चांदी काट रहें हैं। सर्दी, खांसी, वायरल बुखार के रोगियों का उपचार करने कतरा रहें है ऐसी स्थिति मेें रोगियों को मजबूरन गोंदिया की ओर रूख करना पड़ रहा है जहां पर भी रोगियो को उपचार में भारी भरकम खर्च आ रहा हैं। 
वहीं पुराना ढर्रा, नही बदलें हालात 
यहां के जिला अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन  चालू नही हैं, जबकि बालाघाट जिले में दिनों-दिन कोरोना संक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा हैं। सरकारी जांच में नियमित 40 के लगभग मरीज पूर्ण पॉजिटिव पाए जा रहे हैं जबकि गोंदिया नागपुर में प्राइवेट में रैपिड टेस्ट हो रहे हैं जिससे प्रतिदिन 10 से 15 मरीज शासकीय रिकॉर्ड के अलावस कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।
मशीन तो पहुंची लेकिन अब तक शुरू नही 
जानकारी के अनुसार यहां के जिला अस्पताल में सिटी स्केन मशीन पहुंच चुकी हैं, लेकिन उसे अब तक शुरू नही किया जा सका हैं। सिटी स्केन के लिए रोगियो को निजी अस्पतालो की ओर रूख करना पड़ रहा हैं। निजी अस्पताल में रोगियों से भारी भरकम राशि वसूली जा रही हैं। गरीब तबका हर मोड़ पर सिटी स्केन की सुविधा से वंचित है और असमय ही उन्हें मौत के आगोश में समाना पड़ रहा हैं। 
लाखों वसूल रहें निजी अस्पताल 
बालाघाट अस्पताल में मरीजों के लिए फेफड़े की जांच हेतु सीटी स्केन और ब्लड कार्डीनेटर टेस्ट, सीआरपी आवश्यक टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं जांच के अभाव में गोंदिया और नागपुर में मरीजों को तीन लाख से लेकर 10 लाख तक का खर्च उठाना पड़ रहा हैं। जानकारी के अनुसार प्रायवेट में कोरोना टेस्ट के छह हजार रूपए वसूले जा रहें है तथा अन्य उपचार मिलाकर लाखों रूपए का बिल बनाया जा रहा है जो कि गरीब एवं मध्यमवर्गीय तबके की पहुंच से बाहर हैं।  
सरकारी सुविधाएं मिले तो बचेगी जान
इधर दूसरी तरफ लोगों का मानना है कि कोरोना संक्रमण का इतना खौफ है कि अब लोग इलाज कराने से भी कतराने लगे हैं निजी अस्पतालो में मनमानी लूट मची हुई हैं। यदि सरकारी अस्पतालो में यह सुविधाएं शुरू हो जाएगी तो जैसे-तैसे लोग उपचार कराकर अपनी जान बचा सकते हैं।  
अन्य बीमारी का नही कर रहें उपचार
सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि प्राइवेट अस्पतालो में अन्य बीमारियों का उपचार नहीं हो पा रहा हैं क्योंकि डॉक्टरों को रैपिड टेस्ट करने के लिए प्राइवेट में सुविधा नहीं दी गई है जिसकी वजह से गोंदिया से टेस्ट कराने पर मरीज को 1200 सौ रूपए से 1300 रूपए का खर्चा आ रहा हैं जबकि बालाघाट में जांच हो जाएगी तो मरीजों को सुविधा मिलेगी। सरकारी अस्पतालों में मरीज को फीवर क्लीनिक में डाल दिया जाता हंै और अकेले सरकारी अस्पताल के माध्यम से इतने मरीजों को संभालना संभव नहीं हंै यदि प्राइवेट में जांच की सुविधा हो जाएगी तो सरकार इस प्रकार का लोड कम हो सकता हैं। अतएव इस संंबंध में कारगर कदम उठाए जाने की जरूरत हैं।

Created On :   25 Sept 2020 6:17 PM IST

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