कोरोना इफेक्ट: लघु औद्योगिक इकाईयां एक साल से बंद, संक्रमण काल में शुरु हुई कंपनियोंं पर संकट

Corona Effect: Small Industrial Units Closed for One Year, Crisis on Companies Started in Transition Period
कोरोना इफेक्ट: लघु औद्योगिक इकाईयां एक साल से बंद, संक्रमण काल में शुरु हुई कंपनियोंं पर संकट
कोरोना इफेक्ट: लघु औद्योगिक इकाईयां एक साल से बंद, संक्रमण काल में शुरु हुई कंपनियोंं पर संकट



कोरोना काल में जिले की औद्योगिक इकाईयों पर मंडराया खतरा, कामगारों को नौकरी जाने का डर, आधी से ज्यादा औद्योगिक इकाईयों पर एक साल से लटका ताला
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/सौंसर। जिले के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र सौंसर में पिछले एक साल से हालात खराब है। कोरोना संक्रमण की मार यहां इस कदर हावी है कि इस एक साल के भीतर आधी से ज्यादा औद्योगिक इकाईयों पर ताला लटका हुआ है। जो यूनिटें चालू है, वह भी बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी है। दूसरे लॉक डाउन में तो यहां की कंपनियों के उत्पादन में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। अब कामगारों को डर है कि यदि यही हालात और ज्यादा दिनों तक रहें तो उनकी नौकरी पर भी संकट के बादल मंडराने लगेंगे।
सौंसर में बोरगांव, खैरीतायगांव में 58 औद्योगिक इकाईयों का संचालन किया जाता है। इसमें फूड, केमिकल, टैक्सटाइल, ऑयल, मसाले, पाइप निर्माण जैसे उत्पाद तैयार किए जाते हैं, लेकिन पिछले एक सालों से संक्रमण की मार यहां इस कदर हावी है कि कई औद्योगिक इकाईयोंं को बंद करना पड़ा है। जो इकाईयां चालू है वहां संक्रमण के भय और कंपनियों के पास अधिक स्टॉक होने के कारण बंद करने की स्थिति पर पहुंच चुकी है। पिछले साल आवश्यक सेवाओं में शामिल किए गए सेनेटाइजर का उत्पादन यहां की कुछ कंपनियों ने शुरु किया था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में मांग न आने के कारण इसका उत्पादन भी बंद कर दिया गया है। जो छोटी-छोटी इकाईयां यहां के औद्योगिक क्षेत्र में शुरु की गई थी। उनके ताले पिछले साल मार्च में लगे पहले लॉक डाउन के बाद खुल ही नहीं पाए हैं।
डर... कहीं चली न जाए नौकरी
बड़ी संख्या मे यहां की कंपनियों में छिंदवाड़ा और महाराष्ट्र के आसपास के क्षेत्रों के कामगार काम करते हैं। संक्रमण की वजह से उत्पादन घटने और छोटी इकाईयों के शुुरु नहीं हो पाने के कारण कामगार चिंता में आ गए हैं। डर है कि ज्यादा दिनों तक हालातों में सुधार नहीं हुआ और उत्पादन नहीं बढ़ाया गया तो कई कामगारों की नौकरी छिन जाएगी।
किस कंपनी में कितने कर्मचारी
सौंसर के औद्योगिक क्षेत्र में छोटी-बड़ी 58 इकाईयां है। बड़ी कंपनियों में शामिल रेमंड में 2500, सुरुचि प्रायवेट लिमिटेड में 250, भंसाली कंपनी में 60, पीबीएम पॉलिटिक्स में 317, केवीवी में 130, प्रीमियर कंपनी में 317, ब्रिटानिया कंपनी में 140 कामगार वर्तमान में काम कर रहे हैं।
संक्रमित हो रहे कामगार, 15 की मौत
महाराष्ट्र सीमा से लगे होने के कारण संतरांचल में संक्रमण का सबसे ज्यादा प्रकोप है। बड़ी संख्या में नागपुर के भी कामगार यहां काम करने के लिए आते हैं। संक्रमण की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में यहां की कंपनियों में काम करने वाले कामगार संक्रमित हो रहे हैं। वहीं तकरीबन 15 कामगारों की अब तक कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है।
जिले में असर क्या...
- 2020 में कोरोना संक्रमण की पहली लहर में शाही एक्सपोर्ट जैसी कंपनी को बंद करना पड़ा था। यहां पर कार्य कर रहे तकरीबन 175 कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी। विरोध हुआ, लेकिन कंपनी छिंदवाड़ा में उत्पादन जारी रखने को तैयार नहीं हो पाई।
- संक्रमण की वजह से ही लहगड़ुआ औद्योगिक क्षेत्र में आने वाली नई इकाईयां स्थापित नहीं हो पा रही है। 90 में से 50 प्लॉट खाली है। जो नागपुर की फर्मे यहां पहले उद्योग लगाने की रुचि दिखा रही थी वह कोरोना के चलते नहीं आ पा रही हैं।
क्या कहते हैं कंपनी अधिकारी
- शिवलिका कंपनी के वामन ठोंबरे का कहना है कि कच्चा माल उपलब्ध नहीं होने व उत्पादन की बाजार में मांग नहीं होने से कंपनी फिलहाल बंद है।
- सुरचि कंपनी के विशाल जैन का कहना है कि बाजार में कंपनी के उत्पादों की मांग कम होने से कर्मचारियों की संख्या कम कर दी गई है। आम के सीजन में भी 30 प्रतिशत ही उत्पादन कर पा रहे हैं।
- गुलशन कंपनी के सीएस तिवारी का कहना है कि उत्पादन की मांग नहीं है। स्टॉक अधिक होने से आगामी दिनों में उत्पादन बंद करने की स्थिति बन रही है।

Created On :   6 May 2021 10:23 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story