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मनपा में सत्तापक्ष व आयुक्त के बीच टकराव तेज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा में सत्तापक्ष और आयुक्त के बीच टकराव तीव्र होता जा रहा है। आयुक्त तुकाराम मुंढे की घेराबंदी करने का सत्तापक्ष कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता है। बजट के विलंब पर कटघरे में खड़ा करने के लिए 12 मार्च को विशेष आमसभा बुलाई गई है। 15 फरवरी तक आयुक्त को बजट पेश करना अपेक्षित था। 15 फरवरी 2013 की आमसभा में यह निर्णय लिया गया था। मार्च का एक सप्ताह चला गया, लेकिन आयुक्त ने बजट पेश नहीं किया है। विशेष सभा में आयुक्त से बजट के विलंब पर जवाब-तलब किया गया है।
सरकार बर्खास्त करना चाहती है मनपा
मुंबई के 4 विधायकों ने विधानसभा में नागपुर मनपा की आर्थिक बदहाली के मुद्दे पर मनपा बर्खास्त करने का ध्यानकर्षण प्रस्ताव की नोटिस दी। आयुक्त ने मनपा की आर्थिक बदहाली का हवाला देकर जो मुद्दे उपस्थित किए थे, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव नोटिस में उसी मुद्दों का जिक्र है। मनपा सत्तापक्ष को संदेह है कि महाविकास आघाड़ी सरकार मनपा बर्खास्त करना चाहती है। मुंढे को मनपा आयुक्त की कमान इसीलिए सौंपी गई है। मुंढे की कार्यप्रणाली से सत्तापक्ष बेचैन है। उन्हें कटघरे में खड़ा करने के लिए मौके की तलाश शुरू हो गई है। सत्तापक्ष के नगरसेवक दयाशंकर तिवारी पत्रकारों से वार्तालाप में यह बात कह चुके हैं। बजट पेश करने में विलंब का मुद्दा हाथ लगने से सत्तापक्ष आक्रामक हो गया है।
निश्चित समय सीमा में कर्तव्य का निर्वहन करने में असमर्थ
विशेष आमसभा का नोटिस 4 मार्च को जारी किया गया। महाराष्ट्र महानगरपालिक अधिनियम की धारा 95 के हवाला देकर आयुक्त पर बजट पेश करने का दायित्व और 15 फरवरी 2013 को आमसभा के प्रस्ताव क्रमांक 55 अंतर्गत आयुक्त को 15 फरवरी से पहले तारीख निश्चित कर बजट पेश करने के निर्णय पर नोटिस में ध्यान आकर्षित किया गया है। स्थायी समिति अधिनियम के अनुसार निश्चित समय सीमा में कर्तव्य का निर्वहन करने में आयुक्त के असमर्थ रहने से स्थायी समिति सदस्यों के पत्र पर महापौर ने विशेष आमसभा बुलाई है।
खराब आर्थिक स्थिति का हवाला
मुंढे ने आयुक्त का पदभार संभालने के बाद दूसरे ही दिन से रोज एक घंटा जनता दरबार शुरू किया। जनप्रतिनिधियों के समकक्ष आयुक्त का जनता दरबार शुरू करना सत्तापक्ष को नागवार गुजरा। दूसरा चालू विकास कार्य छोड़ नए काम पर रोक लगा दी। इसमें कार्यादेश जारी होकर काम शुरू नहीं हुए कार्यों का भी समावेश है। यह कदम उठाने के पीछे मनपा की आर्थिक स्थिति खराब रहने का हवाला दिया गया। विकास कार्यों पर रोक लगाए जाने से सत्तापक्ष बौखला गया। इस विषय पर फरवरी महीने की आमसभा में नगरसेवकों ने प्रश्न उपस्थित करने पर महापौर ने रोक हटाने के आदेश दिए। सभागृह के आदेश के बाद भी आयुक्त की कार्यप्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ा। यहीं से सत्तापक्ष और आयुक्त के बीच तल्खी बढ़ गई।
Created On :   9 March 2020 6:50 AM GMT