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विश्वभारती विज्ञान केंद्र समेत उड़ान पुल से नागरिकों ने देखा सूर्यग्रहण
डिजिटल डेस्क, अकोला. दीपावली के बाद अर्थात कार्तिक कृष्ण अमावस्या पर लगभग 27 साल के बाद भारत तथा अकोला में सूर्यग्रहण का नजारा दिखाई दिया। अकोला में सूर्यग्रहण 1 घंटा 2 िमनट तक रहा क्योंकि अकोला में सूर्यास्त शाम 5 बजकर 50 मिनट पर हुआ। जबकि सूर्यग्रहण 6 बजकर 29 मिनट तक अन्यत्र देखा गया। दीप पर्व दीपावली के पावन त्योहार से जुड़कर आए सूर्यग्रहण को लेकर जहां उत्सुकता का माहौल था। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी नागरिकों ने आचरण किया। सायंकाल 6 बजे के बाद नागरिकों ने घरों में तथा समीप की नदियों में स्नान किया। इस दौरान गांधीग्राम, बालापुर की मन, मस, भिकुंड नदियों में लोगों ने स्नान किया। घरांे में भी स्नान के बाद दीए जलाए गए। ग्रहण का वेद मंगलवार तड़के 3.30 से लगने के कारण दिन में शहर के सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे। पुराना शहर के श्री राजराजेश्वर शिवमंदिर, रिजर्व माता मंदिर, खाटूश्याम मंदिर, बड़ा राममंदिर, बिर्ला राममंदिर, बाराहज्योर्तिलिंग मंदिर, सालासल बालाजी मंदिर, तपे हनुमान मंदिर समेत शहर के सभी छोटे बड़े मंदिरों के कपाट बंद रहे। सायंकाल ग्रहक समाप्त होने के बाद मंदिरों में धार्मिक गतिविधियों के साथ पूजापाठ एवं आरती आदि के कार्यक्रम संपन्न किए गए।
खंडग्रास सूर्यग्रहण पश्चिम एशिया, मध्यपूर्व आफ्रिका, यूरोप आदि में दिखाई दिया। भारत में भी यह अलग-अलग शहरों अलग-अलग समय पर आरम्भ हुआ तथा समाप्त हुआ। अकोला में ग्रहण का सुतक अर्थात वेद मंगलवार तड़के 3.30 से प्रारम्भ हुआ । जबकि ग्रहण का स्पर्श दोपहर 4 बजकर 38 मिनट पर हुआ। ग्रहण का मोक्ष शाम 6 बजकर 29 मिनट पर हुआ लेकिन अकोला में सूर्यास्त 5 बजकर 50 मिनट पर होने के कारण यहां 1 घंटा 2 मिनट का सूर्यग्रहण माना गया। 5.50 के बाद घरों में स्नान कर धार्मिक गतिविधियों आरम्भ हुई। अकोला में विश्वभारती विज्ञान केंद्र के संचालक प्रभाकर दोड की अगुवाई में खंडग्रास सूर्यग्रहण देखने की व्यवस्था की गई थी। जिसके लिए विशेष प्रकार की दूरबीन तथा लेंस उपलब्ध कराए गए थे। आंखों को रोशनी से बचाने के लिए अलग प्रकार के चष्में उपलब्ध कराए गए थे। जबकि अटलबिहारी उड़ान पुल उत्साही नागरिकों ने अलग-अलग चष्मों की सहायता से अकोला में सूर्यग्रहण का नजारा देखां।
Created On :   26 Oct 2022 5:54 PM IST