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वनग्रामों की बदली तस्वीर: जंगल में बने जल भंडार, खेतों में आई हरियाली
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। वनग्राम में रहने वाले लोग जो अब तक जंगलों के भरोसे रहते थे वह अब आत्मनिर्भर हो गए है। इन वनग्रामों में पानी की व्यवस्था होने के बाद अब यहां पर साल में दो फसल के साथ आम,अमरुद और संतरे की फसल का उपज कर रोजगार से जुड़े है। इस बदलाव का यह नतीजा हुआ है कि इनकी जीवन शैली में भी बदलाव आया है। ऐसा ही कुछ जिला मुख्यालय से ४२ किमी दूर पश्चिम वनमंडल के मेहलारी वनग्राम का हुआ है। इस गांव में जंगल से लगे नाले और निचले हिस्से में बने स्टाप डेम और स्टाप डेम सह रपटा ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। जल संरक्षण के लिए बनाई गई इन जल संरचनाओं से न केवल जल स्तर में सुधार हुआ है बल्कि यहां खेतों में हरियाली भी छा गई है। वन ग्राम के लोग अब खरीफ, रबी की फसलों के साथ उद्यानिकी फसलें भी ले रहे हैं। कुछ किसानों ने आम के बगीचे तैयार किए तो कुछ किसान गर्मी में तरबूज खरबूज की फसल भी ले रहे हैं। पश्चिम वनमंडल में कुल दस वनग्राम है। मेहलारी नाम नाले से घिरे होने के कारण इस गांव को मेहलारी से पहचाना जाता है।
पहले सूखा अब शत-प्रतिशत भूमि हो गई सिंचित
पश्चिम वनमंडल के सांवरी परिक्षेत्र के दूरस्थ वनों के बीच स्थित वनग्राम मेहलारी है जिसकी आबादी तकरीबन ३७५ के आसपास है। यहां पर पहले नाले के पानी को रोकने की व्यवस्था नहीं थी किन्तु वनग्राम विकास योजना और ग्रामीणों की सकारात्मक सोच के कारण आज हालात बदल गए है। वर्ष २००५ से २००७ के बीच स्टाप डेम, स्टाप डेम कम रपटा, भूमि समतलीकरण कार्यों के साथ आज शत-प्रतिशत सिंचित भूमि हो चुकी है। इसके अलावा तीन स्टापडेम निर्माण कार्य और हुए है।
अब इन फसलों का उत्पादन
इस गांव में पहले फसल होना मुश्किल था लेकिन वर्तमान में प्रत्येक परिवार दो फसलें एवं गर्मी में तरबूज खरबूज का उत्पादन कर रहे है। ख्ेातों में संतरे के पौधे प्रदाय किया गया है जिससे अब प्रतिवर्ष संतरे के उत्पादन कर रहे है। सीसी रोड निर्माण द्वितीय श्रेणी मार्ग निर्माण से आवागमन के माध्यम से बढ़ा है। जिससे ग्रामीण उपज को जल्दी बाहर मार्केट में बिक्री का लाभ कमा रहे है। खेतों बांस रोपण भी किया गया था जिससे वनवासी अजीविका का साधन है।
किसानों की जुबानी उनकी कहानी
- किसान उजरलाल, काशीराम, बिसनलाल का कहना है कि वनग्राम होने के कारण यहां पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब सिंचाई के लिए पानी मिलने के कारण फसल हो रही है। स्टॉप डेम होने से अब संतरा की फसल का उत्पादन किया जा रहा है।
- किसान फगनसिंह का कहना है कि पहले खेती के लिए पानी नहीं होता था लेकिन अब खेती के साथ आम अमरुद की खेती भी कर रहे है। सड़क अच्छी बन जाने के कारण बाजार आने-जाने में भी परेशानी होती रही है। पहले जंगल के भरोसे ही जीवन यापन होता था।
इनका कहना है
- वनग्रामों में आगे भी विकास करने के लिए कार्ययोजना बनाकर इस साल भेजी गई है। इसके आधार पर साल भर काम होंगे जिसमें सिंचाई को प्राथमिकता दी गई है।
- ईश्वर जरांडे, डीएफओ दक्षिण वनमंडल
- वनग्राम में रहने वाले लोगों को आत्मनिर्भर बनाते हुए रोजगार से जोडऩे के लिए प्रयास किया जा रहा है। यहां पर कार्ययोजना के अनुसार ङ्क्षसंचाई के साधन बढ़ाए गए है।
- कीर्तिबाला गुप्ता, रेंजर, सांवरी परिक्षेत्र
- पूर्व वनमंडल के ऐसे हाल
कुल वनग्राम- ०७
वनग्राम- कोसमढाना, रीछगांव, दीवानगांव, जवाहरगांव, चांदगांव, जंगलीखेड़ा, बेरवन।
कुल आबादी- २०८४
वनक्षेत्र- १२४९.६६ हेक्टेयर
पश्चिम वनमंडल के ऐसे हाल
कुल वनग्राम - २२
कुल आबादी- ६६३०
वनक्षेत्र- १४०० हेक्टेयर लगभग
Created On :   4 April 2022 2:03 PM IST