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मकर संक्रांति पर्व मनाना हुआ महंगा, सामग्री की कीमत 30 से 40 फीसदी बढ़ी
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डिजिटल डेस्क, यवतमाल। 14 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति के त्यौहार पर लगने वाली सामग्री 30 से 40 फीसदी महंगी हुई है। उसी प्रकार कोरोना का प्रकोप भी जिले में तेजी से फैलता जा रहा है। उसमें यवतमाल शहर में सर्वाधिक मरीज मिल रहे हैं। ऐसे में यह त्यौहार मनाएं या न मनाएं ऐसा संभ्रम दिखाई दे रहा है। इस दिन हल्दी-कुमकुम के लिए सुहागनों को बुलाकर उन्हें भेंट वस्तू दी जाती है। यह सिलसिला संक्रांति से रथसप्तमी तक चलता रहता है। उसी प्रकार तिलगुड़ के लड्डू देकर पूरे सालभर मीठा बोलने के लिए कहा जाता है। वर्ष 100 रुपए किलो मिलने वाली तिल इस बार 140 रुपए किलो हो गई है। उसी प्रकार जो गुड़ 50 रुपए में मिलता था वह अब 65 रुपए प्रति किलो ग्राम बिक रहा है। इसी प्रकार महिलाओं को भेंट देने के लिए लगने वाली सामग्री के दाम भी इसी प्रकार बढ़ गए हैं। उसी प्रकार गन्ने, बेर, गाजर आदि भी गेहंू के साथ बांटने की परंपरा है। 60 से 70 रुपए में मिलने वाले 2 गन्ने वर्तमान में 100 रुपए के हो गए हैं। बेर के भी दाम बढ़े है। गाजर के दाम नहीं बढ़े वह अब भी 20 रुपए किलो मिल रही है। यवतमाल के दत्त चौक, मेन लाइन, सिविल लाइन, दारव्हा नाका, आर्णी नाका आदि स्थानों पर इन सामग्रीयों के दुकान रास्ते के किनारे लगाए गए है। मगर कोरोना का ग्रहण इस त्यौहार को लग चुका है। जिससे 5 से ज्यादा लोगों को एक समूह में इकठ्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई है। इस दिन से सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर बाद में मिथुन राशि तक की यात्रा करता है। इस अंतराल को उत्तरायण कहा जाता है। 14 जनवरी से सूर्य का उत्तर की ओर बढ़ना प्रारंभ होता है। जिससे इस दिन से दिन बढ़ने लगता है। संक्रांति ठंड के मौसम में आती है। इस मौसम में गर्म तिल और गुड़ का सेवन करने से ठंड का मुकाबला करने में ऊर्जा मिलती है। इसलिए तिल-गुड़ की प्रथा चली आ रही है ऐसा घर के बुजुर्ग बताते हैं।
यह मकर संक्रांति बड़ी खास है। 29 साल बाद इसका दुर्लभ संयोग आ रहा है। इस 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य और शनि ग्रह एक साथ दिखाई देंगे। जबकि मकर संक्रांति पर यह दोनों ग्रह एकसाथ नहीं दिखाई देते हंै। 14 जनवरी 1993 में ऐसा योग आया था। अब 29 वर्ष बाद यह योग फिर से आ रहा है। सूर्य और शनि का रिश्ता पिता पुत्र का है। शनि 30 साल में अपनी राशि का चक्र पूरा करता है। इसलिए उनका पिता सूर्य से 30 साल बाद ही मिलन होता है। सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण इस त्यौहार को मकर संक्रांति कहकर मनाया जाता है। इस दिन गंगास्नान और दानपुण्य का विशेष महत्व है।
Created On :   13 Jan 2022 8:14 PM IST