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सातवीं बेटी होने पर जिंदा कर दिया दफन
डिजिटल डेस्क, यवतमाल। सरकारों और सामाजिक संस्थाओं की लाख कोशिशों के बावजूद बेटियों को बोझ समझने की कुप्रवृत्ति में खास बदलाव नहीं आ पाया है। इसका ताजा उदाहरण यवतमाल की घाटंजी तहसील के करमना गांव में देखने को मिला। जहां बेटे की आस लगाए बैठे दंपति को जब सातवीं बार भी बेटी हुई तो उसे जंगल में गड्ढा खोदकर दफना दिया गया। शिकायत मिलने पर पुलिस ने नवजात के शव को बरामद कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।
पुलिस के अनुसार, करमना गांव निवासी अशोक श्यामराव शिंदे की छह बेटियां हैं। बीती 28 मई को उसकी पत्नी ने एक और बालिका को जन्म दिया। पैदाइश के समय नवजात की सेहत बिल्कुल ठीक थी, लेकिन 25 जून को उसकी मौत होने की बात कहकर जंगल में दफना दिया गया। ग्रामीणों को शक होने पर प्रकरण की शिकायत घाटंजी पुलिस से की गई। जिसके बाद थानेदार, डॉक्टर, नायब तहसीलदार राठोड और पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस ने 27 जून को मौके पर पहुंचकर बच्ची का शव गड्ढे से निकाला। पुलिस फिलहाल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के इंतजार में है ताकि मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा सके।
मामला हत्या का हो सकता है। मृतक कभी शौच नहीं करते, इसलिए लगता है कि नवजात को जिंदा दफनाया गया था। इसके अलावा बच्ची के गले पर चोट के निशान भी दिखाई दे रहे हैं। -डॉ. संजय पुराम, घाटंजी सरकारी अस्पताल
बच्ची का शव निकालने पुलिस टीम पहुंचने की खबर गांववालों को मिलते ही ग्रामीण भी घटनास्थल जंगल की ओर बड़ी संख्या में जा पहुंचे। इन सबकी उपस्थिति में शव निकाला गया।बताया जाता है कि जब बच्ची का शव दफनाए गए स्थान से निकाला गया तो वहां पर बच्ची द्वारा की गई शौच भी नजर आयी। इस बच्ची की मुठ्ठियां कसी हुई थी। पेट फुला हुआ था, उसके गाल पर काले धब्बे दिखाई दे रहे थे। यहीं नहीं उसके गले पर गला घोंटने के निशान दिखाई दिए, जिससे इस बच्ची को गला घोंटकर मारने की चर्चा गांव में है।
Created On :   18 July 2019 11:27 AM IST