ब्लैक फंगस: मेडिकल में अब तक 49 सर्जरी, कुछ केस क्रिटिकल

Black fungus: 49 surgeries in medical so far, some case critical
ब्लैक फंगस: मेडिकल में अब तक 49 सर्जरी, कुछ केस क्रिटिकल
ब्लैक फंगस: मेडिकल में अब तक 49 सर्जरी, कुछ केस क्रिटिकल



डिजिटल डेस्क जबलपुर। कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़े हैं। मेडिकल कॉलेज में ही मरीजों का आँकड़ा 120 तक पहुँच गया है। वहीं, शहर के निजी अस्पतालों में भी 30 से अधिक मरीज इलाजरत हैं। राहत की बात ये है कि मेडिकल कॉलेज में 49 मरीजों की सर्जरी हो चुकी है और वे तेजी से रिकवर कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर मरीज शुरुआती चरण में ही आ गए। इस कारण वे रिकवर भी तेजी से कर रहे हैं। कुछ ही मरीज क्रिटिकल हैं और उनका फंगस दिमाग तक फैल चुका है। अभी तक आए मरीजों में आँख, जबड़ा व तालू से जुड़े ब्लैक फंगस के मरीज अधिक संख्या में आ रहे हैं। फंगस के कारण मेडिकल में अब तक एक भी मरीज की आँख नहीं निकाली गई है। हालांकि इस रोग के नियंत्रण में अहम माने जा रहे लायपोसोमल एम्फोसिटीरिन-बी इंजेक्शन्स की कमी बरकार है।
लगभग सारे मरीजों को शुगर-
ईएनटी एचओडी एवं वार्ड प्रभारी डॉ. कविता सचदेवा के मुताबिक ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीज समय से अस्पताल पहुँच जाएँ तो ऑपरेशन की नौबत भी नहीं आती। एंडोस्कोपी और एमआरआई के माध्यम से तय करते हैं कि ऑपरेशन करना है या नहीं। मेडिकल कॉलेज में तीन वार्ड बनाए जा चुके हैं। अभी तक लगभग सारे पेशेंट शुगर पीडि़त ही मिले हैं। इसमें से कुछ को पहले से शुगर था और कुछ को पोस्ट कोविड हुआ है। नाक व आँख के पास सूजन व दर्द से इसकी शुरुआत हो रही है।
आज डिस्चार्ज हो सकते हैं 7 मरीज-
मेडिकल कॉलेज में आज सर्जरी करा चुके 7 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा सकता है। यह पहली बार होगा, जब सर्जरी के बाद ब्लैक फंगस के मरीज डिस्चार्ज किए जाएँगे। इसके पहले 7 सस्पेक्टेड मरीजों की एंडोस्कोपी एवं अन्य जाँच करने के बाद छुट्टी की गई थी।
इंजेक्शन लगने हैं जरूरी-
विशेषज्ञों के अनुसार फंगल इंफेक्शन में मरीज को उसकी शरीर की क्षमता के अनुसार 50 एमएल से 100 एमएल के बीच में इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। इंजेक्शन के बाद सर्जरी और फिर कुछ खाने वाली दवा की जरूरत होती है। इंजेक्शन पहले और सर्जरी के बाद लगते हैं। इंजेक्शन के अलावा अभी कोई विकल्प नहीं है।
कोरोना हुआ है, तो इन बातों का रखें ध्यान-
विशेषज्ञों के अनुसार कोविड के बाद आँख, चेहरे को लगातार साफ रखें, ब्लड में शुगर की मात्रा न बढऩे दें, हायपर ग्लाइसेमिया से बचें। कोविड से ठीक हुए पेशेंट ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें, जाँच कराते रहें। स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज नियंत्रण का ख्याल रखें। गंदगी वाली जगह पर नहीं जाना है। मास्क लगाएँ। एंटी बायोटिक और एंटी फंगल दवाओं का डॉक्टर की परामर्श से इस्तेमाल करें।
एम्फोसिटीरिन-बी इंजेक्शन की कमी-
अस्पतालों में म्यूकर माइकोसिस के मरीजों की संख्या बढऩे के साथ ही लायपोसोमल एम्फोसिटीरिन-बी इंजेक्शन के लिए लोग परेशान हो रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में इसकी दवा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है। दरअसल एम्फोसिटीरिन-बी बेहद कम बिकने वाली दवा होने के कारण इसे दवा कारोबारी नहीं रखते थे। निर्माता भी सीमित मात्रा में ही बना रहे थे। अचानक माँग बढऩे से आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

 

 

Created On :   27 May 2021 10:38 PM IST

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