8.72 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ाया, उत्तर भारत की कई कंपनियों के पते यहां

Big game - forgery of 8.72 crores caught
8.72 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ाया, उत्तर भारत की कई कंपनियों के पते यहां
बड़ा खेल 8.72 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ाया, उत्तर भारत की कई कंपनियों के पते यहां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जीएसटी नागपुर जोन के तहत फर्जी इनवाइस का 8.72 करोड़ का मामला पकड़ा गया है। फर्जी कंपनियों के दम पर फर्जी  इनवाइस जारी कर सरकार को राजस्व का चूना लगाया जा रहा था। नाशिक आयुक्तालय की प्रिवेंटिव टीम ने जब मौके पर जाकर देखा तो में. पेटॉन कंसल्टंेसी सर्विसेस प्रा. लिमिटेड  प्लॉट नंबर 33, भोले बाबा नगर, धुले (GST पंजीकरण संख्या 27AA9013H1ZA) वहां मौजूद नहीं थी। नागपुर में भी ऐसी कई फर्जी कंपनियां हैं।

जांच में खुली पोल

जांच में पता चला कि कंपनी की तरफ से 8.72 करोड़ के फेक इनवाइस (आईटीसी) जारी किए गए थे। केवल इलेक्ट्रिक बिल व रेंट एग्रीमेंट के आधार पर एक से अधिक जगह पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेकर फर्जी इनवाइस जारी कर आईटीसी का लाभ लिया जा रहा है। वास्तव में कंपनियों के बीच कोई व्यवहार नहीं हो रहा था। मेसर्स पेटॉन कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, धुले व्यवसाय के मुख्य स्थान के दिए गए पते पर मौजूद नहीं है। एडवैट मॉड्यूल के डेटा विश्लेषण से यह भी पता चला कि इस नकली फर्म के पास पूरे भारत में कुल चार जीएसटी पंजीकरण हैं, लेकिन केवल तीन जीएसटी पंजीकरण कर अधिकारियों या सिस्टम द्वारा रद्द किए गए थे। उन्होंने फरीदाबाद, हरियाणा में रेंट एग्रीमेंट के आधार पर और पुणे में बिजली बिल के आधार पर पंजीकरण कराया। उन्होंने रुपए के नकली आईटीसी पास किए। 

आईटीसी की जांच जारी 

विभिन्न 37 सीजीएसटी आयुक्तालयों में स्थित विभिन्न खरीदारों को 8.72 करोड़ के फेक इनवाइस जारी किए। चूंकि फर्म फर्जी, नकली और केवल कागज पर थी, इसलिए क्रेडिट लेजर में शेष 1.12 करोड़ रुपए के आईटीसी को नियम 86ए सीजीएसटी नियम, 2017 के तहत अवरुद्ध (ब्लॉक) कर दिया गया है। वसूली के लिए 37 विभिन्न न्यायिक सीजीएसटी आयुक्तालयों को पत्र भी जारी किए गए हैं। इस गैर-मौजूदा फर्म द्वारा पारित आईटीसी की जांच जारी है। 

सरकार को चूना...उत्तर भारत की कई कंपनियों के पते नागपुर में

फर्जी इनवाइस का खेल दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। इसके माध्यम से आईटीसी का गलत लाभ लिया जा रहा है। जैसे कंपनी का ट्रांजेक्शन केवल कागज पर होता है। कागज पर ट्रांजेक्शन पूरा होने के बाद टैक्स क्रेडिट होता है। इस तरह फर्जी ट्रांजेक्शन के नाम पर सरकार से टैक्स क्रेडिट लेते रहते हैं। यह एक तरह से सरकार को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में फर्जी इनवाइस के माध्यम से टैक्स क्रेडिट लेने के मामले बढ़ गए हैं। जीएसटी व डीजीजीआई एक विशेष मॉड्यूल के माध्यम से ऐसी कंपनियों पर नजर रखती है। कंपनी जब पकड़ में आती है, तब तक सरकार को करोड़ेां का चूना लगा चुकी होती है। ऐसी फर्जी कंपनियों को पकड़ने के लिए विशेष डेटा मॉड्यूल का इस्तेमाल हो रहा है। उत्तर भारत की कई कंपनियों के पते नागपुर व आस-पास मिले हैं।

Created On :   24 Feb 2023 4:56 PM IST

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