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एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत बांस की खेती को दिया जायेगा प्रोत्साहन जिले में लगेंगी अगरबत्ती काड़ी निर्माण की तीन यूनिट
डिजिटल डेस्क, बालाघाट। बालाघाट मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश के विकास के लिए तैयार किये गये रोडमेप में एक जिला एक उत्पाद को प्रमोट करने के निर्देश दिये गये है। इसी कड़ी में बालाघाट जिले में चिन्नौर चावल एवं बांस का चयन किया गया है। जिले में बांस के उत्पादन एवं उस पर आधारित लघु, कुटीर एवं वृहत स्तर के व्यवसाय को प्रोत्साहन देने एवं उसके लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए कलेक्टर श्री दीपक आर्य की अध्यक्षता में अधिकारियों की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में वन मंडलाधिकारी श्री बृजेन्द्र श्रीवास्तव, श्री ग्रजेश वरकड़े, उप संचालक कृषि श्री सी आर गौर, अग्रणी बैंक प्रबंधक श्री दिगम्बर भोयर, नाबार्ड के जिला प्रबंधक श्री जी के शेट्टे, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक श्री अखिल चौरसिया, उप संचालक मत्स्योद्योग श्रीमती शशि प्रभा धुर्वे, जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी श्री पी के कनौजे, आजीविका मिशन के जिला परियोजना समन्वयक श्री ओमप्रकाश बेदुआ, सहायक संचालक उद्यान श्री सी बी देशमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र बड़गांव के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ आर एल राउत, डॉ उत्तम बिसेन एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बताया गया कि एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत बालाघाट जिले में चिन्नौर चावल एवं बांस का चयन किया गया है। बालाघाट के चिन्नौर के चावल को उसकी गुणवत्ता एवं शुद्धता के साथ “बालाघाट क्लासिक चिन्नौर’’ ब्रांड के साथ मार्केट में लांच करने की तैयारी है। इसके साथ ही जिले में बांस के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बांस के खेती करने के लिए प्रोत्साहन देने एवं बांस पर आधारित लघु, कुटीर एवं वृहत स्तर के उद्योगों को प्रोत्साहन देने की तैयारी की जा रही है। जिससे लोगों को बांस आधारित उद्योगों से रोजगार मिल सके और बालाघाट जिले को बांस के नाम से एक नई पहचान मिल सकेगी। कलेक्टर श्री आर्य ने बैठक में कहा कि किसान अपनी खाली एवं अनुपयोगी जमीन पर बांस की खेती करें तो उन्हें मनरेगा एवं बांस मिशन से अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा। बांस की खेती से पहले चार साल तक कोई उत्पादन नहीं मिलेगा लेकिन उसके बाद हर वर्ष अन्य परंपरागत फसलों की तुलना में अधिक आय मिलने लगेगी। जिले में अगरबत्ती निर्माण के लिए बांस काड़ी के व्यवसाय को प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके साथ ही बांस के फर्नीचर को भी प्रोत्साहित किया जायेगा। वन मंडलाधिकारी श्री बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि बालाघाट जिले में हर वर्ष 35 हजार नोशनल टन बांस का उत्पादन होता है। जिले में कटंग, टूल्डा एवं बालकुंवर प्रजाति का बांस पाया जाता है। टूल्डा प्रजाति का बांस अगरबत्ती काड़ी बनाने के काम आता है। जबकि कटंग प्रजाति का बांस फर्नीचर आदि के काम में आता है। बांस से चारकोल बनाया जाता है और इस चारकोल का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री एवं कास्मेटिक बनाने में किया जाता है। बांस की खेती करने पर पहले चार साल तक कोई आय नहीं होती है, लेकिन उसके बाद हर वर्ष अन्य फसलों की तुलना में काफी अधिक आय होने लगती है। बांस मिशन के अंतर्गत लोगों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जिले में अगरबत्ती काड़ी निर्माण की 25-25 लाख रुपये की तीन यूनिट 50 प्रतिशत अनुदान पर लगाई जा रही है। इसके साथ ही बांस के वेस्टेज मेनेजमेंट के लिए भी एक यूनिट जिले में लगाई जा रही है। बैठक में तय किया गया कि शीघ्र ही अधिकारियों के साथ बांस आधारित उद्योग में रूचि रखने वाले उद्यमियों की बैठक कर बांस आधारित उद्योगों को जिले में प्रोत्साहन देने के लिए विस्तार से चर्चा की जायेगी।
Created On :   13 Jan 2021 2:59 PM IST