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रूकमणि विवाह की कथा से अभिभूत हुए श्रोता
डिजिटल डेस्क, सलेहा । सलेहा में चल रही श्रीमद भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह का आयोजन हुआ। जिसे बडे ही धूमधाम से मनाया गया। कथा के दौरान व्यास पीठ पर विराजमान प्रवक्ता पंडित विजय कृष्ण त्रिपाठी ने बाललीला का सुन्दर वर्णन किया। कथा के दौरान मैय्या यशोदा के द्वारा श्रीकृष्ण को उखल से बांधा गया। इस पर श्री त्रिपाठी ने अध्याय सुनाते हुए कहा कि ठाकुरजी धन दौलत से, सुंदरता से, अगरबत्ती सेंट से नही वरन् भक्त के प्रेमभाव से बन्धन में आते है। भक्त और भगवान में मात्र दो अंगुल की ही दूरी है। भक्त यदि नाता जोड दे तो दूसरी अंगुल की पूर्ति भगवान करते है। हम पत्नि को पत्नि ही कह सकते है, बहिन नहीं पिता को पिता भाई नहीं, मां को मां कह सकते हैं बहिन नहीं लेकिन भगवान से सभी प्रकार के नाते जोडे जा सकते हैं। कालिया नाग क्रोध का प्रतीक है और क्रोध को मारने से नहीं मरता क्रोध को तो जीतना पडता है। इसीलिए श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को मारा नहीं वरन् जीता। महाराज जी ने श्रोताओं को एक बहुत सुन्दर सूत्र दिया कि जब-जब क्रोध सताए तो जनसमुदाय से निकलकर एकान्त में बैठ जाओ लेकिन काम सताए तो एकान्त छोडकर जनता में आकर बैठ जाओ। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारकाधीश की स्थापना एवं रुकमणी विवाह के प्रसंग का भावपूर्ण पाठ किया गया। कथा की समाप्ति के पश्चात आरती की ततपश्चात प्रसाद वितरण किया गया। कथा का आयोजन मंगल बाजार प्रांगण समीप सेवानिवृत्त वनविभाग में कार्यरत रामप्रताप गौतम निवासी रीछुल द्वारा श्रवण किया जा रहा है।
Created On :   10 Feb 2022 10:59 AM IST