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मुनिश्री 108 निष्प्रह सागर जी महाराज ससंघ का पवई में आगमन
डिजिटल डेस्क, पवई । संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य मुनिश्री 108 निष्प्रह सागर जी महाराज ससंघ 05 मुनिराज मुनिश्री 108 निश्चल सागर जी महाराज मुनिश्री 108 निराग सागर जी महाराज मुनिश्री 108 निर्भीक सागर जी महाराज मुनिश्री 108 ओमकार सागर जी महाराज का कुंडलपुर से विहार होकर हरदुआ ऊंचा मोहन्द्रा कुवंरपुर से होते हुए 04 मार्च 2022 को पवई पहुचे। जैन समाज पवई एवं नगरवासियों द्वारा हर्ष एवं उत्साह के साथ आगवानी की गई। 07 मार्च 2022 को प्रात: कालीन प्रवचन में मुनि श्री ने श्रावकों को संबोधित करते हुए पवई में कहा कि पानी छानकर प्रसूक जल हमारे जीवन में स्वस्थ रहने के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही जल जीवो को बचाने एवं उनकी रक्षा करने के लिए पानी छानकर छन्ना की जीवानी को उसी जलस्रोत में पहुंचाने से जल के जीवो का संरक्षण होता है उनका जीवन बचाया जा सकता है।और अहिंसा धर्म की रक्षा भी होती है। महाराज श्री ने प्रवचन में कहा कि जिन क्रियाओं के करने में अहिंसा मूल में नहीं होती है निश्चित ही उनका निषेध होना चाहिए क्योंकि प्राणियों की रक्षा के भाव हमारी हर क्रिया में होना चाहिए तभी अहिंसा धर्म का पालन कर सकते हैं। हमारी मातृभाषा से ही अपनी पीढ़ी अपने बच्चों एवं संस्कृति को बचाते हुए उनका भविष्य बना सकते हैं। अंग्रेजी आदि अन्य भाषाओं में व्याकरण का कोई भी सिद्धांत और नियम नहीं है कुछ अक्षर ऐसे होते हैं जिनका उपयोग कई मात्राओं के लिए किया जाता है। जिससे अंग्रेजी भाषा शास्त्र सम्मत और हमारी संस्कृति के अनुकूल नहीं है जैन सिद्धांत एवं हिंदू संस्कृति के तहत भी संस्कृत और हिंदी प्राकृतिक भाषा से ही हमारे बच्चों का भविष्य उज्जवल और सही रास्ते की ओर जा सकता है इसलिए हम सभी को अपनी मातृभाषा हिंदी और संस्कृत के साथ ही बच्चों को शिक्षित करना आवश्यक है।
Created On :   8 March 2022 2:25 PM IST