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जर्जर स्कूल की नहीं बदली सूरत, खंडहरनुमा भवन में शिक्षा लेने मजबूर हैं बच्चे, बना रहता है हादसे का डर
डिजिटल डेस्क, लांजी।कहने को तो शासन शिक्षा के स्तर को और बेहतर करने स्कूली बच्चों को सुविधाएं, अच्छी स्कूल बिल्डिंग, स्कूल में अच्छा माहौल देने के दावे तो तमाम करता है, लेकिन हकीकत इससे उलट है। लांजी जनपद शिक्षा केंद्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्र ग्राम बोदरा घाटी में स्थित प्राथमिक स्कूल की हाल बदहाल हैं। स्कूल भवन जर्जर हो चुका है। जुगाड़ का खेल करके दरवाजे लगाए गए हैं। बारिश में कक्षों की छत से पानी टपकता है। दीवारों से प्लास्टर उखडऩे लगे हैं। स्कूल का कीचन शेड भी जर्जर हो चुका है। भवन में आखिरी बार रंगरोगन कब हुआ था, इस बारे में कोई नहीं जानता। जर्जर भवन को देखकर हमेशा कोई हादसे का डर बना रहता है। जिम्मेदारों की उदासनीता का ही नतीजा है कि आज भी बच्चे इस जर्जर भवन में पढ़ाई करने मजबूर हैं।
बच्चे नहीं पहुंच रहे स्कूल
बोदरा घाटी स्कूल में कई बच्चे शिक्षा ग्रहण करने स्कूल नहीं आते, जो आते हैं वह कक्षा में नहीं बैठते। जानकारी के अनुसार, प्राथमिक शाला बोदराघाटी में लगभग 45 बच्चे अध्ययनरत हैं, जिसमें आधे से भी कम बच्चे स्कूल पहुंचते हैं। स्कूल आने वाले बच्चे जर्जर भवन के चलते बाहर ही छांव में पढ़ाई करते हैं। भवन को देखकर न सिर्फ बच्चों बल्कि शिक्षकों की भी सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती।
बरसात के मौसम में होती है बड़ी दिक्कतें
बरसात के मौसम में छत से पानी का रिसाव होने से कक्ष में पानी भर जाता है। इससे बच्चों को पढ़ाई काफी प्रभावित होती है। बारिश के दिनों में यहां अघोषित छुट्टी हो जाती है। स्कूल भवन की जर्जर स्थिति को लेकर कई बार इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारियों को की गई, लेकिन अब तक शासन-प्रशासन द्वारा कोई उपाय नहीं किए गए। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जिम्मेदारों ने समय रहते कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए तो यहां बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। बच्चों के अभिभावकों ने नए भवन का निर्माण या मरम्मत कार्य कराने आवश्यकता बताई है।
इनका कहना है
स्कूल के जर्जर भवन की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी गई है। जिसके निरीक्षण के लिए लांजी बीआरसी की टीम भी आई थी। भवन स्वीकृति का प्रस्ताव मिलते ही भवन निर्माण कार्य या मरम्मत कार्य किया जाएगा।
भोजराज बिलावर, प्रभारी, प्राथमिक शाला
हम स्कूल की मरम्मत संबंधित जानकारी मंगवाते हैं, फिर कार्ययोजना बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजते हैं। यहां से आगे की रूप रेखा तैयार करके जर्जर शालाओं को चिन्हित किया जाता है। बोदरा घाटी प्राथमिक शाला का मैंने निरीक्षण किया है। यहां विद्यार्थी और उनके पालकों को शिक्षा के प्रति कई बार जागरूक करने का कार्य किया है, लेकिन न बच्चे स्कूल आते हैं ना ही उनके पालक भिजवाते हैं।
केएल बड़घैया, बीआरसी, लांजी
Created On :   28 March 2022 12:48 PM IST