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विदर्भ में बसती हैं सभी संस्कृतियां, आबोहवा में सद्भाव और समरसता
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। जिस तरह पंचतत्व में शामिल आकाश की प्रकृति मिश्रित और गुण फैलाव होता है। उसी आधार पर विदर्भ में सभी संस्कृतियां बसती हैं। सद्भाव और समरसता यहां की आबोहवा में बसा है। विदर्भ के गोंदिया, अमरावती और यवतमाल जिलों में हवाई अड्डों का निर्माण तो हुआ है लेकिन गोंदिया के बिरसी को छोड़ दिया जाए तो अन्य दोनों हवाई अड्डों का इस्तेमाल गाहे-बगाहे किसी विशेष अतिथि के आने पर ही होता है। बिरसी हवाई अड्डे का निर्माण अंग्रेजों के समय में हुआ था। भले ही यहां से नियमित उड़ानें शुरू न हुई हों लेकिन दो पायलट प्रशिक्षण केंद्र यहां चल रहे हैं।
गोंदिया तहसील के ग्राम कामठा के समीप बिरसी हवाई अड्डे का निर्माण लगभग 80 वर्ष पूर्व 1942-43 में अंग्रेजों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किया था। भारतीय उपमहाद्वीप के केंद्र में होने के कारण यह जगह चुनी गई। 1984 में प्रिंस फिलिप का इस विमानतल पर आगमन हो चुका है।
2005 में तत्कालीन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने विमानन क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए प्रयास शुरू किए और इस विमानतल का कायाकल्प करवाया। 1,267 एकड़ में फैला यह विमानतल विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ वायु यातायात नियंत्रण मॉडर्न एविएशन एवं नाइट लैंडिंग सुविधाओं से युक्त है। बढ़ते उपयोग व नागर विमानन क्षेत्र में हो रहे समग्र विकास को दृष्टिगत रखते हुए इस विमानतल द्वारा राष्ट्रीय उड़ान प्रशिक्षण संस्थान की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हंै। वायुयानों के रखरखाव हेतु आधुनिक हैंगर सुविधाएं भी यहां हैं। बिरसी विमानतल पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी व एनएफटीआई पायलट प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी, रायबरेली में लगभग 450 प्रशिक्षु पायलट हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी के 40 प्रशिक्षणार्थी एवं 12 जहाज इस समय बिरसी विमानतल पर मौजूद हैं।
एनएफटीआई के प्रशिक्षु पायलटों का प्रशिक्षण केंद्र वर्ष 2008 में शुरू हुआ है एवं यहां 14 विमान हैं। साथ ही 110 प्रशिक्षु पायलट प्रशिक्षण ले रहे हैं। यहां एक साथ दो विमान उतर सकते हैं, जिनकी पार्किंग की व्यवस्था भी यहां है।
अमरावती के बेलोरा हवाई अड्डे की नींव 13 जुलाई 2019 को रखी गई थी। तत्कालीन विधायक डॉ. सुनील देशमुख की विकास निधि के जरिए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बेलोरा को राष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट बनाने के लिए विकास कार्यों का भूमिपूजन किया था। महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने 74.86 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस एयरपोर्ट के विकास के लिए करीब 110 करोड़ रुपए की लागत वाली योजना बनाकर कार्य शुरू कर दिया था। इस राशि से यहां मौजूद रनवे की लंबाई 1,300 मीटर से बढ़ाकर 1,850 मीटर की जानी है। यहां 737 एयर बस, 320 एयरक्राफ्ट उतारने की भी तैयारी है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल विभाग के अनुसार अमरावती के आकाश से गुजरने वाले 240 विमानों में से करीब 110 कार्गो विमान होते हैं।
इनमें व्यवसायिक सामग्री लदी होती है। अगर अमरावती में व्यवसायिक उड़ानंे शुरू होती हैं तो इसका लाभ राजस्व और रोजगार के रूप में मिलेगा। उधर, 23 वर्ष पूर्व नागपुर रोड पर भारी में वर्ष 1998 में महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने इस उद्देश्य से यवतमाल हवाई अड्डे का निर्माण किया था कि जिले का औद्योगिक विकास हो। वर्ष 2006 में इस हवाई अड्डे के विकास के लिए फ्लोटेट टेंडर निकाले गए। रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर्स लि. ने सर्वाधिक 3.24 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। 30 अक्टूूबर 2009 को इसे रिलायंस को सौंपा गया। हालांकि, काम अभी शुरू नहीं हुआ है। यहां का रनवे 1,400 मीटर लंबा और 45 मीटर चौड़ा है। इसका एप्रॉन 80 बाय 60 मीटर का है। यहां छोटा टर्मिनल भवन भी बनाया गया है। नाइट लैंडिंग और पार्किंग की दृष्टि से भी इसका विकास होना है क्योंकि यह हवाई अड्डा नागपुर के कार्बो हब हवाई अड्डे के काफी करीब है।
बैजू के.वी., डायरेक्टर बिरसी विमानतल का कहना है कि गोंदिया के बिरसी हवाई अड्डे से यात्री विमानों के आवागमन के लिए उच्चस्तर पर प्रयास चल रहे हैं। जल्द ही इस विमानतल से नियमित उड़ान सेवा शुरू होने की संभावना है। इसकी प्रक्रिया भी लगभग पूरी होने की कगार पर है।
Created On :   9 Dec 2021 5:29 PM IST