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मासूम की मौत के बाद अधिकारियों ने ली बेसहारा मां की सुध
डिजिटल डेस्क सलेहा । सलेहा कस्बा स्थित न्यू बस स्टैण्ड पुलिस थाना परिसर से लगी बााउण्ड्रीवाल के समीप डेरा डालकर खुले आसमान के नीचे अपना डेरा डालकर बरसात, गर्मी के साथ कडकडाती ठण्ड को सहकर अपने दो बच्चों ०६ साल की बेटी एवं ०२ साल के मासूम बच्चे की दर्दभरी जिंदगी को नजरअंदाज कर रहे जिम्मेदारों की तंद्रा तब टूटी जब कडाके की ठण्ड में बेसहारा मां के दो वर्षीय बीमार मासूम बच्चे की मौत हो गई। अपने कलेजे के टुकडे की मौत के बाद मां की स्थिति इस लायक भी नहीं थी कि वह अपने बेटे को मिट्टी में दफनाने की व्यवस्था कर सके। स्थानीय समाजसेवियों ने जब मृत बच्चे को गले से लगाये बिलखती मां को देखा तो मदद करने के लिए आगे आए और कुछ रूपए जुटाते हुए जरूरी व्यवस्था करते हुए दो साल के मृत मासूम को मिट्टी में दफनाने का काम पूरा किया। इस समाचार पत्र द्वारा बेसहारा मां के दो साल के बेटे की ठण्ड एवं बीमारी से हुई मौत की घटना को प्रमुखता के साथ समाचार पत्र के माध्यम से शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाया गया। जिसके बाद प्रशासानिक अधिकारियों की नींद खुली और बेसहारा मां का हालचाल जानने के लिए जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ओ.पी. आस्थाना, तहसीलदार गुनौर अखिलेश प्रजापति के साथ थाना्र प्रभारी सुयश पाण्डेय मौके पर पहुंच गए तथा बताया कि सुलोचना बाई एवं उसकी ०६ साल की बेटी की मदद एवं उनकी सुरक्षा के संबध में सभी जरूरी कदम उठाए जायेंगे। अधिकारियों ने बताया कि महिला के परिवार को लेकर जानकारी एकत्रित की जा रही है। अभी तक जो प्रांरभिक जानकारी सामने आई है उसके अनुसार महिला का विवाह गुनौर निवासी भुवन पटेल के साथ हुआ था। जिसने महिला का पूर्व में परित्याग कर दिया था। महिला का मायका लाहौती थाना मैहर में है। कुछ समय तक महिला मैहर में रहकर भरण-पोषण कर रही थी पिछले साल वह सलेहा आ गई थी। महिला का मायका पक्ष आर्थिक रूप से सम्पन्न है। प्रयास किया जायेगा कि महिला के मायके पक्ष के लोग उसकी एवं उसकी बेटी की देखभाल के लिए तैयार हो जायें। जिससे दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और ऐसा नहीं होने की स्थिति में मां एवं बेटी को सुधार गृहों में भेजा जायेगा।
दूसरे दिन भी महिला एवं उसकी बेटी को नसीब नहीं हुई रहने के लिए छत
बेसहारा मां के दो साल के मासूम बेटे की ठण्ड से हुई मौत के बाद आज प्रशासानिक अधिकारी उसकी सुध लेने पहुंचे जरूर परंतु मदद के नाम पर सिर्फ दिखावटी रवैया ही सामने आया। अधिकारियों द्वारा तीन हजार रूपए की आर्थिक मदद दी गई किंतु महिला एवं उसके ०६ साल की बेटी को आज दूसरे दिन भी कडाके की ठण्ड से बचाव के लिए जरूरी प्रबंध करने को लेकर पहुंचे अधिकारियों का उदासीन रवैया सामने आया। जहां पर डेरा डालकर महिला एवं उसकी बेटी का डेरा है। मददगारों द्वारा उसकी पालीथीन बदलकर उसकी जगह एक नई पालीथीन डलवाई गई है। बडा सवाल यह है कि महिला के एक बच्चे की जब ठण्ड से मौत हो चुकी है ऐसे में जिले के जिम्मेदार अधिकारियों यह प्रबंध करने में ही सक्षम नहीं हैं कि महिला को किसी शासकीय इमारत की छत के नीचे जब तक कोई दूसरा प्रबंध उसके लिए नहीं होता व्यवस्था कर दी जाती। जिस तरह से पूरा घटनाक्रम सामने आया है उससे यही कहा जा सकता है कि सरकार का जो समानता का नारा है वह गरीब, बेबस, कमजोरों से काफी दूर है। जिले में इस तरह के न जाने कितने बेसहरा और गरीब इस कडकडाती ठण्ड में इसी प्रकार आशियाना बनाकर रह रहे हैं और दर्दभरी जिंदगी के बीच अपनों को या तो भूख से या मौसम की मार से खो रहे हैं।
Created On :   19 Jan 2022 12:43 PM IST