ब्लैक फंगस के बाद अब सामने आया व्हाइट फंगस का पहला मामला

After the black fungus, now the first case of white fungus came out
ब्लैक फंगस के बाद अब सामने आया व्हाइट फंगस का पहला मामला
ब्लैक फंगस के बाद अब सामने आया व्हाइट फंगस का पहला मामला



डिजिटल डेस्क जबलपुर।  म्यूकोरमाइसिस यानी कि ब्लैक फंगस के मामलों के बढऩे बाद अब शहर में व्हाइट फंगस ने भी दस्तक दी है। मेडिकल कॉलेज में एक मरीज का ऑपरेशन किया गया है, जिसमें व्हाइट फंगस होने की पुष्टि की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार मरीज में एस्परजिलोसिस यानी व्हाइट फंगस का जो प्रकार मिला है वह ब्लैक फंगस के मुकाबले कम खतरनाक है। यह नाक में होने वाली व्हाइट फंगस है, जिसे ऑपरेशन के माध्यम से अलग करने के बाद केवल दवाइयों के माध्यम से रोगी को ठीक किया जा सकता है, इसमें ब्लैक फंगस की तरह इंजेक्शन्स की जरूरत नहीं होती। नाक में होने वाला व्हाइट फंगस, फेफड़ों में होने वाले व्हाइट फंगस से भी कम खतरनाक है। हाल ही में बिहार के पटना में फेफड़ों में होने वाले व्हाइट फंगस के मामले रिपोर्ट किए गए थे, ऐसा कहा गया कि यह ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक है।
ऑपरेशन के बाद आई रिपोर्ट-
मेडिकल कॉलेज ईएनटी विभागाध्यक्ष एवं वार्ड प्रभारी डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि 17 मई को एक 55 वर्षीय पुरुष का ऑपरेशन किया गया था, जिसकी जाँच रिपोर्ट बाद में आई। जाँच में व्हाइट फंगस की पुष्टि हुई है। मरीज को कोरोना हो चुका है, हालाँकि यह कहा नहीं जा सकता है व्हाइट फंगस कोरोना के बाद ही हुआ। यह पहले से भी हो सकता है। 1-2 दिन दवाएँ देने के बाद मरीज को डिस्चार्ज किया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज में ही इसके 6-7 मरीज साल भर में डिटेक्ट होते रहे हैं। यह नाक में होने वाला व्हाइट फंगस है, जिसे ऑपरेशन के बाद सिर्फ गोलियाँ देकर ठीक किया जा सकता है। इंजेक्शन्स की जरूरत नहीं होती है।
ब्लैक फंगस से अलग कैसे?
जानकारों का कहना है कि ब्लैक फंगस के मामले सामने के बाद लोग अवेयर हुए हैं, इसी के चलते व्हाइट फंगस के केस सामने आए हैं। आने वाले दिनों में इसके कुछ और मामले देखे जा सकते हैं। नाक में होने वाला व्हाइट फंगस, धीरे-धीरे अपने स्थान से चारों तरफ बढ़ता है, जबकि ब्लैक फंगस रक्तवाहिकाओं के माध्यम से तेजी से आगे बढ़ता है। नाक से आँख और फिर दिमाग में पहुँचने के बाद, शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुँचता है।
ऐसे पहचानें व्हाइट फंगस के लक्षण-
विशेषज्ञों के अनुसार फेफड़ों में होने वाले व्हाइट फंगस में संक्रमण के लक्षण एचआरसीटी में कोरोना के लक्षणों जैसे ही दिखते हैं। इसमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। यह भी ब्लैक फंगस की तरह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर होता है। वहीं नाक में होने वाला व्हाइट फंगस में सिर दर्द, चेहरा भारी लगना, नाक में दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं।
मेडिकल में ब्लैक फंगस के 76 मरीज-
मेडिकल कॉलेज में म्यूकोरमाइसिस के लिए बनाए गए विशेष वार्ड में भर्ती सस्पेक्टेड मरीजों की एंडोस्कोपी की गई। ऐसे 6 मरीज जिनमें एंडोस्कोपी के बाद ब्लैक फंगस की पुष्टि नहीं हुई, उन्हें डिस्चार्ज किया गया। फिलहाल वार्ड में ब्लैक फंगस के 76 मरीजों का उपचार चल रहा है।

 

Created On :   21 May 2021 10:13 PM IST

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