आचार्य बालकृष्ण ने वनस्पतियों का किया सरल वर्गीकरण, 13 लाख वनस्पतियों की प्रजातियों को 25 हजार में समेटा 

Acharya Balkrishna did a simple classification of flora
आचार्य बालकृष्ण ने वनस्पतियों का किया सरल वर्गीकरण, 13 लाख वनस्पतियों की प्रजातियों को 25 हजार में समेटा 
हरिद्वार आचार्य बालकृष्ण ने वनस्पतियों का किया सरल वर्गीकरण, 13 लाख वनस्पतियों की प्रजातियों को 25 हजार में समेटा 

डिजिटल डेस्क, हरिद्वार, अजीत कुमार। प्रकृति ने वनस्पति के रूप में धरती पर अमूल्य धरोहर प्रदान किया है। इस धरोहर का इस्तेमाल जीवनदायिनी के रूप में किया जाता है। आयुर्वेद में इसकी विस्तृत व्याख्या है। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ आयुर्वेद से जुड़े ज्ञान को भारत सहित पूरी दुनिया में फैलाने में जुटी है।पारंपरिक भारतीय चिकित्सा के आधुनिकीकरण पर आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन आचार्य बालकृष्ण ने यहां कहा कि वनस्पति को बेहतर ढंग से समझने के लिए उसका सरल वर्गीकरण किया है। उन्होंने कहा कि वनस्पति का वर्गीकरण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इतना जटिल कर दिया गया है, जिसे सामान्य वर्ग की बात तो दूर, अच्छे पढ़े-लिखे लोग भी याद नहीं रख पाते हैं। इसमें 13 लाख वनस्पति प्रजातियों का वर्णन किया गया है। आचार्य बालकृष्ण ने इसे वैदिक भाषाओं में 25 हजार प्रजातियों में वर्गीकृत कर दिया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में पतंजलि का विराट योगदान है। पतंजलि के शोध एवं आयुर्वेदिक दवाओं की दुनिया में स्वीकार्यता बढ़ी है। 

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प्रकृति से ही भारतीय संस्कृति की पहचान: स्वामी रामदेव

इस अवसर पर योग गुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि प्रकृति से ही भारतीय संस्कृति की पहचान होती है। इसी से हमें समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली से तंग आकर अब लोग फिर से प्रकृति की गोद में जाने लगे हैं। अब लोगों के घरों में तुलसी, गिलोय, एलोवेरा जैसे कई औषधीय पौधों ने जगह ले ली है। योग गुरू ने इसका श्रेय पूर्ण रूप से आचार्य बालकृष्ण को दिया। 

पौष्टिक आहार के साथ नियमित योग जरूरी : डॉ दास 

सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ यू एन दास ने ड्रग डिस्कवरी व क्लीनिकल ट्रायल की प्रक्रिया को विस्तार से बताया। उन्होंने सभी को पौष्टिक आहार लेने के साथ नियमित योग व व्यायाम को अपनी जीवन शैली से जोड़ने की सलाह दी। बीएचयू के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ एचबी सिंह ने माइक्रोबियल पेस्टीसाइड के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर वैज्ञानिक डॉ रणजीत सिंह, तमिलनाडु विश्वविद्यालय के डॉ के राजामणि, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ जेपी यादव ने भी अपने विचार रखे।

Created On :   2 Aug 2022 10:33 PM IST

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