फीस से ज्यादा महंगा हुआ कालेज पहुंचना

Access to college became more expensive than fees
फीस से ज्यादा महंगा हुआ कालेज पहुंचना
छिंदवाड़ा फीस से ज्यादा महंगा हुआ कालेज पहुंचना

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। गल्र्स कॉलेज में एमएससी उत्तरार्ध की छात्रा को एक साल की फीस महज ८ हजार रुपए जमा करने पड़े लेकिन गांव से कॉलेज तक आने के लिए उसे रोजना १२० रुपए यानी प्रतिमाह लगभग २५०० रुपए खर्च करने पड़ रहे है, यानी साल भर का किराया लगभग २५ हजार रुपए। किराए के इस बोझ से कई छात्राएं रेगुलर के बजाए प्राइवेट पढ़ाई करने पर मजबूर हो रही हैं। कई छात्राओं ने साइंस के बजाए आर्ट्स ले लिया और प्राइवेट परीक्षा देने का निर्णय ले लिया है।  
बीते सालों में डीजल के दामों में बढ़ोतरी का सबसे गंभीर असर उच्च शिक्षा पर पड़ता नजर आ रहा है। जिन छात्र- छात्राओं ने तीन साल तक रोजाना कॉलेज पहुंचकर स्नातक डिग्री हासिल की, उनमें से अधिकांश ने अब कॉलेज से दूरी बना ली है। सत्र २०१९-२० और २०२०-२१ में कोरोनाकाल के चलते विद्यार्थियों को नियमित कॉलेज नहीं आना पड़ा। सत्र २०२१-२२ में संक्रमण काल खत्म होते ही कॉलेजों में विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ गई। दो साल के कोरोनाकाल में बस और टैक्सियों का किराया दो गुना से ज्यादा हो गया। बीते साल विद्यार्थियों ने स्नातक डिग्री का अंतिम सत्र जैसे तैसे पूरा किया। इसके बाद जब स्नातकोत्तर डिग्री की बारी आई तो गरीब परिवार के छात्र-छात्राओं ने कॉलेज में नियमित प्रवेश ही नहीं लिया। अब ये विद्यार्थी भोज मुक्त विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री के लिए आवेदन कर रहे हैं।
अचानक बंद हो गई आवागमन भत्ता योजना
दूरदराज स्थित गांवों की छात्राओं को उच्च शिक्षा के प्रति उत्साहित करने के लिए वर्ष २०११-१२ में प्रदेश सरकार ने आवागमन भत्ता योजना की शुरूआत की। इस योजना के तहत कॉलेज से ५ किमी दूरी के बाहर स्थित गांव या कस्बों से आने वाली छात्राओं को आवागमन भत्ता के रूप में १५० रुपए माह दिया जाता था। तीन साल पहले तक इस योजना के तहत छात्राओं को आवागमन भत्ता मिलता रहा। लॉकडाउन के दौरान यह योजना अचानक बंद कर दी गई।
ग्रामीण छात्राओं की मुसीबत
नरसला से आने वाली छात्रा सुनीता पठारे ने बताया कि उसके पिता मध्यमवर्गीय किसान हैं। बॉयोलाजी से १२ वीं उत्तीर्ण करने के बाद उसने कॉलेज में प्रवेश लिया। गांव से कॉलेज तक आने में पहले साल तो परिवार के लोगों ने किसी तरह किराया का बोझ सहन कर लिया लेकिन अब हर दिन १०० रुपए किराया देना संभव नहीं है। मैनीखापा क्षेत्र से आने वाली छात्राओं को प्रतिदिन १२० से १४० रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

इनका कहना है...
बस और टैक्सियों में किराया बढऩे से कॉलेज की छात्राएं पढ़ाई छोडऩे पर मजबूर हो रही हैं। प्रदेश सरकार को ऐसी छात्राओं के लिए बस और टैक्सियों में नि:शुल्क आवागमन की सुविधा देना चाहिए।
- रेशमा खान, सांसद प्रतिनिधि गल्र्स कॉलेज
उच्च शिक्षा विभाग ने छात्राओं के लिए आवागमन भत्ता योजना शुरू की थी जो तीन साल पहले बंद कर दी गई। फिलहाल योजना को लेकर उच्च शिक्षा विभाग से कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
 

Created On :   25 Aug 2022 4:29 PM IST

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