हर दो महीने में हो रही एक बाघ की मौत, टाइगर स्टेट में ही नहीं सुरक्षित बाघ
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डिजिटल डेस्क,सिवनी। जिले में पिछले दो वर्षों में एक दर्जन बाघों की मौत हो चुकी है। इस अनुसार हर दो माह में एक बाघ विभिन्न कारणों से दम तोड़ रहा है। ऐसे में बीते बरस हुई टाइगर की गणना में प्रदेश के टाइगर स्टेट के दावे को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। न सिर्फ पेंच नेशनल पार्क बल्कि दूसरे टाइगर रिजर्व में भी बाघ सुरक्षित नहीं है। पिछले दिनों जिले के कुछ ऐसे स्थानों में टाइगर की मौजूदगी देखी गई थी, जहां पहले कभी बाघ नहीं देखे गए। बावजूद इसके इन बाघों और दूसरे वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए न तो जागरूकता फैलाई जा सकी है और न ही उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सके हैं।
हर साल छह बाघों की मौत
जिले में वर्ष 2021 में जहां पांच बाघों की मौत हुई थी वहीं 2022 में छह बाघ की मौत हुई थी। इस साल अब तक एक बाघ करंट से दम तोड़ चुका है। आंकड़ों के अनुसार जिले में 65 से 75 बाघों की मौजूदगी बताई जाती रही है। ऐसे में बाघों की इस तरह हो रही मौत कई सवाल खड़े करती है। तेंदुए जैसे जीवों की भी मौतों की खबरें सामने आती रहती हैं।
वन्यजीवन को लेकर नहीं फैला सके जागरूकता
जिले में वन्यजीवन को लेकर जागरूकता फैलाई नहीं जा सकी है। उगली में 2021 के नवंबर माह में लोगों ने एक तेंदुए को पीट पीटकर मार डाला था और आग लगा दी गई थी। इसके बाद पिछले साल उगली के बेलगांव में दो बाघ शावक नजर आए थे, जिसके बाद लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। बमुश्किल किसी तरह बाघ के शावकों को बचाया जा सका था। ये दो मामले जताते हैं कि जिले में बाघों सहित दूसरे वन्य जीवों की उपस्थिति के बावजूद लोगों में जागरूकता नहीं फैलाई जा सकी है। वन्यजीवों को देखते ही लोग हमला कर देते हैं।
कई नए क्षेत्रों में मिले हैं बाघों के निशान
जिले में दक्षिण सामान्य वन मंडल में एक दर्जन स्थानों पर हाल की गणना के दौरान बाघ की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं। इन स्थानों पर बाघों की उपस्थिति पहले नहीं पाई गई थी। ऐसे में जरूरी है कि इन बाघों की सुरक्षा के लिए न सिर्फ पर्याप्त अमला तैनात हो बल्कि लोगों में जागरूकता के लिए विशेष प्रयास हों। जिले में हाल के दिनों में वन्य जीवों और इंसानी टकराव के कई मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें कुछ लोगों की जान भी गई है।
सिर्फ टोटका साबित हो रहे नए उपाय
हाल के दिनों में वन विभाग, पार्क प्रबंधन द्वारा बाघों और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए जाने की बात कही गई है। जिसमें ड्रोन से निगरानी, सतत् गश्ती और दूसरे प्रयासों की बात सामने आती है लेकिन ये उपाय सिर्फ टोटका साबित होती है। हर नई घटना इन प्रयासों पर सवाल खड़े कर देती है। वन विभाग में मैदानी अमले की भारी कमी है। जरूरी है कि इन पदों पर शीघ्र नई भर्तियां की जाएं।
Created On :   13 Jan 2023 2:28 PM IST